SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 68/3, जुलाई-सितम्बर, 2015 67 कोवो अग्गी तमो मच्चू, विसं वाधी अरी रयो। जरा हाणी भयं सोगो, मोहं सल्लं पराजयो।।- इसिभासियाई, 36.3 68 वही, 36.5 69 वही, 36. 7 7 वही, 36.15 | वही, 35.2,4,6,8 72 योगश्चित्तवृत्तिनिरोधाः। -पातंजलयोगसूत्र, 1.1 73 मोक्षण योजनाद् योगः। 74 खिज्जते पावकम्माणि, जुत्तजोगिस्स धीमतो। देसकम्मक्खयभूता, जायंते रिद्धिओ बहू।। इसिभासियाई, 9.18 75 विज्जोसहिणिवाणेसु, वत्थु-सिक्खागतीसु यातवसंजमपयुत्ते य, विमद्दे होति पच्चओ।। -वही, 9.19 जं विज्जं साहइत्ताणं, सव्वदुक्खाण मुच्चती।। - इसिभासियाई, 17.1 77 जेण बंधां च मोक्खं च, जीवाणं गतिरागति। आयाभावं च जाणति, सा विज्जा दुक्खमोयणी।।- इसिभासियाई, 17.2 78 इसिभासियाई, 17.6 79 जेण जाणामि अप्पाणं, आवी वा जइ वा रहे। अज्जयारिं अणज्ज वा, तं णाणं अयलं धाव।।4.4 80 इसिभासियाई, 9.34 । इसिभासियाई, 9.35 3K 24-25, कुड़ी भगतासनी, जोधपुर-342005 (राज.) मुनिश्री क्षमासागर जी को विनम्र श्रद्धाञ्जलि परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम सुयोग्य शिष्य मुनि श्री 108 क्षमासागर जी महाराज का दिनांक 13 मार्च 2015 को प्रात:काल सागर में सल्लेखना पूर्वक समाधिमरण हो गया है। मुनिश्री गहन चिन्तक, प्रखर प्रवक्ता, भावुक व संवेदनशील वात्सल्य-हृदयी एवं अद्भुत शब्द-शक्ति से प्रेरित कविताएं के सृजेता कविमना संत थे। आत्मान्वेषी और "मनि क्षमासागर की कविताएं" एवं "कर्म कैसे करें" आपकी बहुचर्चित कृतियाँ हैं। मुनि श्री विगत कई वर्षो से अस्वस्थ चल रहे थे परन्तु सदैव ज्ञान-ध्यान में लीन अपनी चर्या में दृढ़ रहे। एम.टेक होने के कारण आपकी वैज्ञानिक सोच थी। जैन समाज के प्रतिभावान छात्रों के परम हितैषी थे। ऐसे कठोर तपस्वीसंत के देह विलय से जैनसमाज एवं श्रमण-समाज की अपुरणीय क्षति हुई है। वीर सेवा मंदिर शोध संस्था एवं अनेकान्त (शोध त्रैमासिकी) परिवार आपके प्रति विनम्र श्रद्धांजली अर्पित करते हुए लोकोत्तर साधक बनकर मोक्ष प्राप्ति की कामना करता है।
SR No.538068
Book TitleAnekant 2015 Book 68 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2015
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy