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________________ अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 अन्यमत-वादीभसिंह की गद्य चिन्तामणि जीवन्धर के लिए उनके विद्यागुरू द्वारा जो उपदेश दिया गया वह बाणभट्ट की कादम्बरी शुकनासोपदेश से प्रभावित है। अतएव कहा है जा सकता है कि- वादीभसिंह बाणभट्ट के समकालीन थे। (६१०-६५० ई.) अकलंकदेव के न्याय विनिश्चयादि ग्रन्थों का भी वादीभसिंह की सिद्धि पर प्रभाव है अतः यह उनके उत्तरवर्ती विद्वान् माने जाते हैं। क्षत्रचूडामणि : इसमें भगवान महावीर स्वामी के समकालीन राजा सत्यंधर की विजयरानी के पुत्र जीवंधर कुमार का वृत वर्णन है। इनका जीवनवृत्त वर्णन अनेक घटनाओं से भरा पड़ा है। तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरूषार्थो का फल प्रदर्शन करने में अद्वितीय है। ग्रन्थ की रचना ग्यारह लम्बों में अनुष्टुप छन्द द्वारा हुई है। इसकी खास विशेषता यह है कि इसके प्रत्येक पद्य के पूवार्द्ध में कथा का वर्णन कर कवि उत्तरार्द्ध में अर्थान्तरन्यास द्वारा नीति का वर्णन करता चलता है। इस शैली से लिखा हुआ यह नीति का ग्रन्थ समग्र संस्कृत साहित्य में बेजोड़ है। कौआ, चूहा, मृग आदि की काल्पनिक कहानियों के द्वारा बालकों में नीति की भावना भरने वाले पंचतंत्र आदि ग्रन्थ जहाँ बालकों तक ही सीमित रह जाते हैं। वहाँ सत्य घटना के द्वारा नीति की भावना उत्पन्न करने वाला यह ग्रन्थ अबालवृद्धि सबके लिए उपयोगी बन पड़ा है। कुप्पूस्वामी प्रथम पुरस्कर्ता के शब्दों में : अस्य काव्यपथे पदानां लालित्य श्राव्यः शब्दः संनिवेश निरर्गला वाग्वैखरी सुगमाः कथासारावागमश्चित्तविस्मापिकाः कल्पनाश्चेत प्रसाद जनकोधर्मोपदेशःधर्माविरूद्धानीतियो दुष्कर्मणों विषमफलावाप्तिरिति विलसन्ति विशिष्टगुणाः ___ अर्थात् इनके काव्य पथ में पदों की सुन्दरता श्रवणीय शब्दों की रचना अप्रतिहित वाणी सरलकथासार चित्त को करने वाला धर्मोपदेश धर्म से अविरूद्ध नीतियों और दुष्कर्म के फल की प्राप्ति आदि विशिष्ट गुण सुशोभित
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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