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________________ 46 अनेकान्त 67/3, जुलाई-सितम्बर 2014 इन गुणों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है - अस्तित्व गुण - जिस शक्ति या गुण के निमित्त से द्रव्य का किसी भी अवस्था नाश न हो, उसे अस्तित्व गुण कहते हैं। इस गुण के फलस्वरूप वस्तु अनेकों चित्र-विचित्र रूपों को प्राप्त होने पर भी सत्तात्मक गुण को सदैव धारण किये रहती है। असत् पदार्थ खर विषाण के समान व्यवहारा का विषय नहीं हो सकता है। वस्तुत्व गुण- सामान्य विशेषात्मक वस्तु होती है, उस वस्तु का जो भाव है, वही वस्तुत्व है। आचार्यमल्लिषेण लिखते हैं- “वस्तुनस्ता तावदर्थ क्रियाकारित्वं लक्षणम्” अर्थात् वस्तु का जो गुण अर्थ क्रिया करने में समर्थ हो, उसे वस्तुत्व कहते हैं। जैसे घड़े की अर्थक्रिया जल धारण करना है। इसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य की पृथक् पृथक् अर्थ क्रिया है। इस गुण के कारण घट घट का ही कार्य करता है अन्य का नहीं। जीव द्रव्य का वस्तुत्व गुण ज्ञातादृष्टा होना है। पुद्गल द्रव्य का गुण पूरण गलन है। द्रव्यत्व गुण - जो द्रव्य का भाव है, वही द्रव्यत्व है। आचार्य कुन्दकुन्द ने कहा है कि द्रव्यत्व गुण के कारण द्रव्य विभिन्न सत्ताभूत पर्यायों में यथानाम रूप से परिवर्तन करता हुआ भी सत्ता साथ अनन्य रूप से अवस्थित है।" जिनेन्द्रवर्णी समझाते हैं कि सूर्यबिम्ब और अकृत्रिम चैत्यालयों को जैनदर्शन में त्रिकाल स्थायी कहा गया है । परन्तु त्रिकाल स्थायी मानते हुए भी द्रव्यत्व गुण के कारण उसके सूक्ष्म परिवर्तन को भी स्वीकार किया है। २४ प्रमेयत्व गुण- प्रमाण के द्वारा जानने योग्य जो स्व और पर स्वरूप है, वह प्रमेय है, उस प्रमेय के भाव को प्रमेयत्व कहते हैं । अर्थात् जिस शक्ति के कारण द्रव्य किसी न किसी ज्ञान का विषय बनता है, वह प्रमेयत्व गुण है। अगुरुलघुत्व गुण जो सूक्ष्म है, वचन के अगोचर है, प्रतिसमय में परिणमनशील है तथा आगम प्रमाण से जाना जाता है, वह अगुरुलघुगुण है और अगुरुलघु का जो भाव है, वह अगुरुलघुत्व गुण है। इसमें हानि-वृद्धि के अभाव के कारण ही गुण को अगुरुलघु नाम दिया गया है। ३५ प्रदेशत्व गुण - प्रदेश के भाव को प्रदेशत्व अर्थात् क्षेत्रत्व कहते हैं। वह अविभागी पुद्गल परमाणु के द्वारा घेरा हुआ स्थान मात्र होता है।" वस्तु अपने
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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