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________________ अनेकान्त 673, जुलाई-सितम्बर 2014 सफल नहीं हो सकती। करण (परिणाम) और ध्यान का सम्बन्ध : मोक्षमार्ग में सम्यग्दर्शन की प्राप्ति ध्यान के काल में करणलब्धि पूर्वक होती है। लब्धियाँ पाँच होती हैं। ये हैं -क्षयोपशम लब्धि, विशुद्धि लब्धि, देशनालब्धि, प्रायोग्यलब्धि और करणलब्धि। प्रथम चार लब्धियां अभव्य और भव्य जीव दोनों को होती हैं। किन्तु करणलब्धि भव्य जीव को ही होती है। करण लब्धि होने पर सम्यक्त्व नियम से होता है। करणाः परिणामाः' अर्थात् करण का अर्थ परिणाम है। आचार्य कुन्दकुन्द ने प्रवचनसार गाथा १८ में कहा है कि- पर के प्रति शुभ परिणाम पुण्य है और अशुभ परिणाम पाप है और जो दूसरों के प्रति प्रवर्तमान नहीं है, ऐसा शुद्ध परिणाम समय पर दुख क्षय का कारण है। योगेन्दु देव ने योगसार गाथा १४ में परिणाम से ही जीव को बन्ध कहा और परिणाम से ही मोक्ष कहा है- यह समझ कर, हे जीव, तू निश्चय से उन भावों को जान। सम्यक्त्व और चारित्र की उत्पत्ति/आराधना में, परिणाम ही कारण भूत है। इसी कारण करण लब्धि के तीन करण अर्थात् अद्यःप्रवत्त करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण तथा गुणस्थान क्रम में अप्रमत्तसंयत के बाद अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण गुणस्थान आते हैं। इससे स्पष्ट है कि दर्शनमोह और चारित्र मोह के उपशम और क्षय का आधार परिणाम है। इन्हीं अशुभ, शुभ या शुद्ध परिणामों के अनुरूप ध्यान का स्वरूप और प्रकृति, ध्यान की सामग्री ध्येय ध्यान की विधि और ध्यान के फल का निर्धारण होता है। परिणामों के आधार पर ही ध्यान का वर्गीकरण, प्रशस्त या अप्रशस्त किया गया है। अतः साधक को अपने परिणामों को सम्भालना और समझना आवश्यक है। भावानुरूप योग, उपयोग और ध्यान : प्राणीजगत का योग, उपयोग और ध्यान की प्रवृत्ति भावों-परिणामों के अनुरूप होती है। शुभ परिणामों से शुभ योग, शुभोपयोग और प्रशस्त ध्यान होता है। शुद्ध परिणामों से शुभयोग, शुद्धोपयोग और निर्विकल्प ध्यान होता है। इसके क्रम को रेखांकित करते हुए आचार्य कुन्दकुन्द ने कहा है कि - 'शुभयोग की प्रवृत्ति अशुभ के योग से आने वाले कर्मो को रोक देती है तथा शुद्धोपयोग के द्वारा योग से आने वाले कर्मों का निरोध हो जाता है।शुद्धोपयोग
SR No.538067
Book TitleAnekant 2014 Book 67 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2014
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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