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________________ अनेकान्त 66/1, जनवरी-मार्च 2013 क्रीड़ाभूः सुकृतस्य दुष्कृतरजः संहारवात्या भवो दन्वन्नौर्व्यसनाग्निमेधपटली संकेतदूती श्रियाम् निःश्रेणिस्त्रिदिवौकसः प्रियसखी मुक्तेः कुगत्यर्गला सत्वेषु क्रियतां कृपैव भवतु क्लेशेरशेषैः परैः॥२५॥ सुकृत बिहारमही दुष्कृत-रज हरण वात्यका भवनिधि नव व्यनाग्नि घटा श्री मर्म दूतिका स्वर्गनिसैनी मुक्ति सहचरी अनुपम गिरिधर परम दयामय लसे अहिंसा मति प्रसूति का यदि ग्रावा तोये तरति तरणिर्यधुदयते, प्रतीच्यां सप्तार्चिर्यदि भजति शैत्यं कथमपि यदि क्षमापीठं स्यादुपरि सकलस्यापि जगत':, प्रसूते सत्वानां तदपि न वधः क्वापि सुकृतम्॥२६॥ पत्थर भी तर जाय उगे रवि भी पश्चिम में शीतलता छा जाय भले ही ज्वलित अनल में, नभ नीचे हो जाय भूमि त्यों ऊपर गिरिधर तो भी हिंसा परिणत होगी नहीं सुकृत में॥२६॥ जैन धर्म ज्ञान व क्रिया पर समान बल देता है। जैन दर्शन में ज्ञान रहित क्रिया अंधी व क्रिया रहित ज्ञान को लंगड़ा माना गया है। ज्ञान व क्रिया की सम्यक अनुपालना से ही मुक्ति मिलती है। जैन आगमों में 'उपासक दशांग' सूत्र श्रावक धर्म प्रतिपादन करने वाला माना जाता है। 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' एक संस्कृत जैन काव्य है जो जैनाचार्य समन्तभद्र द्वारा रचित प्राचीन ग्रन्थ है। जैनाचार्य प्रभाचन्द्र ने भी एक संस्कृत टीका लिखी थी। इसके सात परिच्छेदों में जैन आचारों के साथ ४ शिक्षाव्रत व ११ प्रतिमाओं का वर्णन है। पं. नवरत्न ने इस ग्रन्थ का बड़ा सरल, सुबोध अनुवाद क्रिया, जिससे श्रावकों के व्रत रहस्य व मूल तत्व आसानी से समझे जा सकते हैं। इसका एक छन्द सानुवाद देखें जिसमें तपस्वी का लक्षण निहित हैं : विषयाशावशातीतो निरारम्भोऽपरिग्रहः। ज्ञानध्यानतपोरक्ताःतपस्वी सःप्रशस्यते॥१/१०॥ विषय छोड़कर निरारम्भ हो, नहीं परिग्रह रक्खें पास। ज्ञान ध्यान तप में रत होकर, सब प्रकार की छोड़ें आस। ऐसे ज्ञानध्यानतपभूषित, होते जो सांचे मुनिवर। वही सुगुरु है वही सुगुरु हैं, वही सुगुरु हैं उज्ज्वलतर॥१/१०।। सम्यक् चारित्र का स्वरूप निम्नांकित छन्द में देखिये - मोहतिमिरापहरणे दर्शनलाभादवाप्तसंज्ञानः। रागद्वेष निवृत्यै चरणं प्रतिपद्यते साधुः॥३/१॥
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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