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________________ अनेकान्त 66/1, जनवरी-मार्च 2013 91 प्रस्तुत अनुवाद में पं. नवरत्न ने तीर्थकर पार्श्वनाथ के अनन्त चतुष्टय के वर्णन में भी अपना विनम्र भाव अभिव्यक्त किया है। उन्होंने इसमें तीर्थकर के वैशिष्टय के कई व्यंजक दिये। उन्होंने छन्छ ३९ का जो सुन्दर अनुवाद किया वह देखें - त्वं नाथ ! दुःखिजनवत्सल ! हे शरण्य ! कारुण्यपुण्यवसते ! वशिनां वरेण्य ! भक्त्या नते मयि महेश! दयां विधायदुःखांकुरोद्दलनतत्परतां विधेहि॥३९॥ हे दीनबन्धु ! करुणाकर ! हे शरण्य ! स्वामिन् ! जितेन्द्रिय ! वरेण्य ! सपुण्यधाम ! मैं भक्ति से प्रणत, हूँ करके दया तू, हे नाथ! नाश कर दे सब दुःख मेरे॥३९॥ जैन आचार्यों ने पूर्वाकाल में विविध संज्ञक नीति काव्यों की सुन्दर रचनाएँ की जो धर्म, पूजा, संघ, अहिंसा, सत्य, दान, तप आदि से सम्बन्धित तथा जीवनोपयोगी रही। पं. नवरत्न ने ऐसी कई मूल रचनाओं के अनुवाद भी किये जो जैन साहित्य में मील के पत्थर साबित हो सकते थे, परन्तु खेद है कि वे तब से अब तक अधिकांशतः अप्रकाशित ही रहें। अप्रकाशन रूप के ये दुर्लभ दस्तावेज हमें विनोद भवन, झालरापाटन के प्राचीन पुस्तकालय में निखिलेश सेठी ने अध्ययनार्थ अवलोकन कराये थे। प्रारम्भिक छन्द में तीर्थकर पार्श्वनाथ के श्रीचरणों की भावभरी स्तति आशीर्वाद प्राप्त करने हेत मंगलाचरण के रूप में है। देखिये मूल छन्द तथा अनुवाद का एक उदाहरण:-(शार्दूलविक्रीड़ित) सिन्दूरप्रकरस्तपः करि शिरः क्रोडे कपायाटवी दावोर्चिर्निचयः प्रबोधदिवसप्रारंभसूर्योदयः मुक्तिस्त्रीकुचकुम्भकुड्.कुमरसः श्रेयस्तरा पल्लवप्रोल्लासः क्रमयोर्नखद्युतिभरः पार्श्वप्रभौःपातु वः॥१॥ श्री सिन्दूरप्रकर तपस्या-करि के सिर का दावानल का निचय कषायों के जंगल का शुचि प्रबोध के दिन के प्रारम्भ का रवि अनुपम वर कुमकुमरस मुक्ति स्त्री के उरोजघट का परम मनोहर अतिशय सुन्दर विमल कीर्तिदा अभिनव पल्लव निःश्रेयसमय शुचि तरुवर का पार्श्व प्रभु की पदनखततिका द्युतिभर गिरिधर रक्षाकर्ता होय हमारा, त्रिभुवन-जन का। पं. नवरत्न ने इसी क्रम के छन्द २५, २६ में अहिंसा महात्म्य का सुन्दर अनुवाद करके दर्शाया कि अहिंसा स्वर्ग की नसैनी है। इस छन्द के अनुसार स्वयं पं. नवरत्न ने अपने नाम 'गिरिधर' शब्द का प्रयोग किया है :
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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