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________________ कलिङ्ग चक्रवर्ती खारवेल -डॉ.रमेशचन्दजैन शुङ्ग राजवंश ने ११२ वर्ष तक राज्य किया। इसके बाद इसका अन्त हो गया। इसके बाद कलिङ्ग में एक शक्तिशाली राज्य का उदय हुआ, जिसके प्रधान नायक खारवेल माने जाते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास और सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रख्यात चेदि राजवंश की प्रतिष्ठा कलिङ्ग में महामेघवाहन वंश के नाम से ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी तक हो चुकी थी। बहुधा जैनधर्म के प्रधान पृष्ठ पोषक होने के कारण इस वंश के राजाओं का यश जैन साहित्य में विशेष रूप से कीर्तित हुआ है। महाभारत, बौद्ध चेतीय जातक तथा अन्य पुराणों में भी इस वंश का विवरण पाया जाता है। कलिङ्ग में खारवेल इस राजवंश के सर्वश्रेष्ठ शासक माने जाते हैं। यह भी तात्पर्य पूर्ण है कि भारतवर्ष में वे ही महाराजा पद विभूषित सर्वप्रथम सम्राट हैं और उनकी प्रथम नहिषी के मञ्चपुरी गुफा अभिलेख में उन्हें चक्रवर्ती के रूप में अभिहित किया गया है। दस वर्ष के शासनकाल में खारवेल ने जो सामरिक सफलता पाई थी, उसके समकक्ष दृष्टान्त भारत के इतिहास में दृष्टिगोचर नहीं होता। उनके शासन काल में कलिङ्ग समस्त भारतवर्ष में अद्वितीय और अजेय शक्ति के रूप में विवेचित हआ तथा अपने राजनैतिक प्रभाव को हिमालय से कुमारिका, पूर्वसागर से पश्चिम पयोधि तक व्याप्त कर सका था। शासक के रूप में उनकी मानवीयता, कला और संस्कृति के प्रति प्रगाढ़ अनुराग, उदार धर्मनीति और आध्यात्मिकता के कारण इतिहास में उन्हें विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है। चेदि राजवंश चेदि राजवंश भारत में अति प्राचीन काल से ही प्रतिष्ठित था। जिनसेन कृत हरिवंश के उल्लेख से यह स्पष्ट प्रतिपादित होता है कि विन्ध्याचल के समीपवर्ती क्षेत्र में अभिचन्द्र ने चेदि राष्ट्र की स्थापना की थी और शक्तिमती नदी के तट पर उनकी राजधानी थी, जिसकी शक्तिमतीपुर के नाम से ख्याति थी विन्ध्यपृष्ठेऽभिचन्द्रेण चेदिराष्ट्रमधिष्ठितम्। शुक्तिमत्यास्तटेऽध्यायि नाम्ना शुक्तिमती पुरी॥ शुक्तिमती आधुनिक उड़ीसा के बलांगीर जिले में प्रवाहित शुकतेल नदी है। महामेघवाहन कलिंग में चेदि राजवंश के प्रतिष्ठाता थे। फलस्वरूप कलिंग मगध से स्वतंत्र हुआ और उसके गौरवमय इतिहास में नये-नये अध्याय जडते गए। खारवेल कलिंग में अपने वंश के तृतीय राजा थे। द्वितीय राजा अनुमानतः हाथी गुम्फा शिलालेख की आद्यपंक्ति में उल्लिखित चेतराज खारवेल के पिता हैं। पार्जिटर ने मध्यप्रदेश में बहने वाली केन नदी को शुक्तिमती कहा है। राजा शिशुपाल चेदिवंश का शासक था। उसकी राजधानी चन्देरी थी। खारवेल के पूर्वज भी मूलतः चन्देरी के आसपास स्थित चेदिदेश के ही वासी रहे होंगे।
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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