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________________ अनेकान्त 66/1 जनवरी-मार्च 2013 में १६ श्रुत देवता या विद्या देवियाँ है जिनकी अधिष्ठात्री देवी सरस्वती है। जैन-सरस्वती का पाषाण में प्रारम्भिक मूर्त रूपांकन विक्रम संवत् ५४ (तीसरी ईस्वी पूर्व) मथुरा से प्राप्त होता है । १९ भारतीय मूर्तिकला में जैन धर्म की प्रतिमाओं को शास्त्रों के अनुसार बनाया गया। भारत के विभिन्न स्थानों पर विशेषकर राजस्थान में जैन मंदिर व इससे सम्बन्धित मूर्तियोंकी अधिकता है। कोटा के संदर्भ में देखें तो कोटा संग्रहालय में राजस्थान की सम्पन्न मूर्तिकला का एक बड़ा केन्द्र है। यहाँ लगभग सभी विषयों की लगभग ८४० मूर्तियों का संग्रह है। यहाँ पर एक जैन मूर्ति संग्रह हेतु जैन कलादीर्घा का निर्माण किया गया है जहाँ कई अमूल्य व दुर्लभ जैन मूर्तियों का बड़ा ही रोचक संग्रह है। यहाँ के हिन्दूशासक अन्यधर्मो के प्रति आदरभाव रखते थे। इसी कारण ८वीं शताब्दी से १३वीं शताब्दी तक काकूनी, अटरू, केशोरायपाटन, झालरापाटन, विलास, रामगढ़ आदि स्थल जैन धर्म, स्थापत्य एवं प्रतिमा शिल्प के प्रमुख केन्द्र बने । यहाँ जैन प्रतिमा कक्ष में जैन तीर्थकरों ऋषभनाथ, अजितनाथ, विमलनाथ, शांतिनाथ, मल्लिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर आदि की प्रतिमाएँ, जैन मंदिरों के स्तम्भ आदि का संकलन व्यवस्थित रूप में देखा जा सकता है। संग्रहालय में आधा दर्जन से अधिक धातु की जैन प्रतिमाएँ भी संरक्षित है। चेचट से प्राप्त मिश्रित धातु की, अजितनाथ की श्वेताम्बर प्रतिमा में तीर्थंकर सौम्य एवं प्रशान्त मुद्रा में लंगोट धारण किये पद्मासन एवं बद्धपद्मांजलि मुद्रा में पीठिका पर विराजमान है। प्रतिमा में कुंचित केश, वक्षस्थल पर श्रीवत्स का चिन्ह लम्बी भुजाएँ एवं कर्ण, चांदी के पच्चिकारी युक्त खुले नेत्र अत्यन्त आकर्षक है। ऐसी कई प्रतिमायें इस संग्रहालय में देखी जा सकती हैं। अतः भारतीय मूर्तिकला में जैन धर्म का भी समन्वित व क्रियान्वित रूप हम देख सकते है। संदर्भ : 1. भारतीय मूर्तिकला पृ. 96 - 2. (अ) प्राचीन भारतीय साहित्य की सांस्कृतिक भूमिका, पृ. 101 (ब) झालावाड़ की मूर्तिकला परम्परा, ललित शर्मा पृ. 117 3. वैभव और वैराग्य, पाण्डेय राकेश पृ. 193 4. (The Jain Iconography by - B.C. Bhattachaya, Shama B.N.) हिन्दु तथा जैन प्रतिमा विज्ञान, डॉ. पंकजलता श्रीवास्तव, पृ. 357 5. The Jain Iconography 4 - B.C. Bhatta chaya P.g. 2, 3, 56. शिव पुराण 7, 9, 317 7. हिन्दु तथा जैन प्रतिमा विज्ञान, डॉ. पंकजलता श्रीवास्तव पृ. - 357 25 8. रूपमण्डन, श्रीवास्तव बलराम भूमिका पृ. 100 - 9. हिन्दु तथा जैन प्रतिमा विज्ञान डॉ. पंकजलता श्रीवास्तव पृ. 358, 359 10. हिन्दु तथा जैन प्रतिमा विज्ञान डॉ. पंकजलता श्रीवास्तव पृ. - 360 11. मध्यकालीन माण्डप्रतिमालपण मारूतिनंदन तिवारी कमलगिरि, पृ. 264 12. झालावाड़ की मूर्तिकला परम्परा ललित शर्मा पेज नं. 119
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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