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________________ IL अनेकान्त 66/4 अक्टूबर-दिसम्बर 2013 स्वरूपमन्वयिसाधारणमजीवानां लक्षणं ।" अर्थात् जीव का लक्षण उपयोग है । यही जीवन है। उस जीवन से भिन्न पदार्थ पर्युदासवृत्ति द्वारा अजीवन है। यह गति-स्थिति-अवगाहनहेतुत्व रूप अन्वय से सभी अजीवों में पाया जाता है। अतः यह अजीव का साधारण लक्षण है। अजीव शब्द में नञ् समास का अर्थः अजीव शब्द‘न जीवः अजीव ' ऐसा नञ् समास करने पर निष्पन्न हुआ है । जैसे ‘न अश्वः अनश्वः’ में अनश्व कहने से अश्व से भिन्न अश्वसदृश अन्य प्राणियों का बोध होता है, उसी प्रकार अजीव कहने से जीव से भिन्न सत्ता वाले अन्य अचेतन पदार्थों का बोध होता है। अजीव में नञ् समास अनश्व की तरह पर्युदास रूप है, तुच्छाभाव रूप नहीं है। आचार्य विद्यानन्दि स्वामी लिखते हैं-‘त्रिकालविषयाजीवनानु भवनादजीव इति निरुत्तक्तेरव्याभिचारान्न पुनर्जीवनाभावमात्रं तस्य प्रमाणागोचरत्वात् पदार्थलक्षणत्वायोगात् भावान्तरस्वभावस्यैवाभावस्यैवाभावस्य व्यवस्थापनात्।“अर्थात् तीनों कालों में अजीवन धर्मों का अनुभवन करने से अजीव तत्त्व है। अजीव की इस निरूक्ति में कोई व्यभिचार (नियमभंग) दोष नहीं है। अजीव का अर्थ जीवनाभाव मात्र नही है अपितु यह जीवभिन्न भाव रूप है। इसे अनश्व, अनेकान्त, अनक्षर आदि नञ् समास वालों की तरह भावात्मक पदार्थ समझना चाहिए। तुच्छाभाव तो किसी भी प्रमाण का विषय नहीं बन पाता है और उसमें पदार्थ के लक्षण का घटित होना भी संभव नहीं होता है। खरविषाण के समान तुच्छाभाव किसी भी पदार्थ का लक्षण नही हो सकता है । अतः अभाव का अभिप्राय तत्पदार्थ के अभाव रूप अन्य पदार्थ भाव से है। 6 सांख्य की अजीवविषयक मान्यता का खण्डनः आचार्यविद्यानन्दि स्वामी ने 'तेन नैकं प्रधानादिरूपतां' कहकर सांख्य दार्शनिकों की उस मान्यता का निरसन किया है, जिसके अनुसार वे एक ही प्रधान या प्रकृति को अजीव तत्त्व मानते हैं। शेष २३ तत्त्वों को पुरुष (चेतन - जीव) के साथ होने वाले संयोग से उत्पन्न प्रकृति का विकार कहते हैं। जैसा कि सांख्यकारिका में ईश्वरकृष्ण ने कहा है. ‘प्रकृतेर्महान् ततोऽहंकारस्तस्माद्गणश्च षोडशकः। तस्मादपि षोडशकात्पञ्चभ्यः पञ्च भूतानि ।। " - IL
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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