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विषयानुक्रमणिका
विषय
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पृष्ठ संख्या
१. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक में अजीव तत्त्व एवं उसके
भेद तथा उसकी अन्य दर्शनों से तुलना - डॉ. जयकुमार जैन ५-१० २. जैन संस्कृति का मुकुटमणि कर्नाटका ___ एवं उसकी कुछ यशस्विनी श्राविकाएं - प्रो. डॉ. श्रीमती विद्यावती जैन ११-१९ ३. जैनदर्शन में संशय का स्वरूप ___- प्रो. डॉ. वीरसागर जैन २०-२६ ४. भारतीय मूर्तिकला में जैन मूर्तियों के लक्षण - ललित शर्मा
२७-३३ ५. लोकानुप्रेक्षा में वास्तुविद्या
- सतेन्द्र कुमार जैन ३४-४४ & Parapsychological Aspect of Dream
- SamaniRamaniyaPragya ४५-५१ ७. वास्तुशांति की आवश्यकता एवं वैशिष्ट्य
- डॉ. सुरेन्द्र कु. जैन भारती' ५२-५८ ८. लेश्या स्वरूप एवं विमर्श
- डॉ. योगेश कुमार जैन ५९-६८
- डॉ. श्वेता जैन ९. सर्वोदयी देशना में स्वमुखी पर-मुखी दृष्टि
- डॉ. अनेकान्त कुमार जैन ६९-७४ १०. मेरी भावना : जीवन का शिलालेख - सिद्धार्थ कुमार,
जैन एम. म्यूज. ७५-८१ ११. जैनदर्शन में प्रबन्धन तत्त्व
- प्रो. सागरमल जैन ८२-८९ १२. श्रमण संस्कृति की व्यापकता - प्रो. डॉ. राजाराम जैन ९०-९६
(गंताक से आगे)