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अनेकान्त 66/3, जुलाई-सितम्बर 2013 पुनर्जन्म न हो तो पूर्वभव के स्मरण - कथन करने का कोई अर्थ नहीं होता है। जब
तक दूसरा जन्म न माना जाय तब तक 'पूर्वभव नहीं कहा जा सकता। पुनर्जन्म सिद्धांत के कथन से जीव को न केवल नैतिक बनने की प्रेरणा मिलती है बल्कि वह आत्मा की अशुद्धता को कमशः दूरकर शुद्धात्मा की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हो जाता है, शुद्धात्मा - परमात्मा की प्राप्ति ही जीवन का अंतिम उद्देश्य है। सन्दर्भ: १. (क) प्रेत्यामुत्र भवान्तरे। अमरकोष ३/४/८ १४. तत्त्वानुशासन ८. (ख) मृत्वा पुनर्भवनं प्रेत्यभावः। १५. तत्त्वार्थ सूत्र ८/१. अष्टसहस्री पृठ १६५
१६. तत्त्वार्थ सूत्र ९/१. (ग) प्रेत्यभावः परलोकः।। अष्टसहस्री पृष्ठ १७. तत्त्वार्थवार्तिक १.४.११. तत्वार्थ सूत्र ९/१.
१८. तत्त्वार्थ सूत्र ९/२-३. (घ) प्रत्यभावो जन्मान्तर लक्षणः।। १९. भगवती अराधना गाथा १८४७. अष्टसहस्री पृष्ठ १८१
२०. सर्वार्थसिद्धि ८/२३ पृष्ठ ३९९. (ड.) पुनरुत्पत्तिः प्रेत्यभावः। न्यायसूत्र २१. वैशेषिक सूत्र ६/२/१४. भरतीय दर्शन की १/१/१९
रुप रेखा पृष्ठ २६२. २. षट्खंडागम भाग ६/पृष्ठ १८
२२. षड्दर्शन रहस्य पृष्ठ १३५. ३. तत्वार्थ - वार्तिक ६/१/७
२३. न्याय सूत्र १/१/२. ४. पपद्ध सर्वार्थसिद्धि २/२६ एवं ६/१; पपद्ध
२४. सांख्य सूत्र ६/४१. तत्तवार्थसूत्र ६/१; पपद्ध पंचाध्यायी २/४५
२५. सांख्य सूत्र ६/१६. ५. पंचास्तिकाय गाथा ६५ - ६६
२६. सांख्य सूत्र प्रवचन भाष्य ६/९. ६. तत्त्वार्थसूत्र ८/२. तत्वानुशासन ६.
२७. बौद्ध दर्शन तथा अन्य भारतीय दर्शन पृष्ठ ७. सर्वार्थसिद्धि ७/२५ तत्वार्थवार्तिक १/४/१७ पृष्ठ २६
२८. भारतीय दर्शन की रुप रेखा पृष्ठ १५०. ८. पंचास्तिकाय गाथा - १२८-३०, भगवती
२९. ज्ञानार्णव २१/२२.
३०. ज्ञानार्णव , संसारभावना ८. ९. जैन तत्व विद्या, पृष्ठ ३१७
३१. पंचास्तिकाय १२८/३०. १०. तत्त्वार्थसूत्र ८/२ ११. मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन पृष्ठ
३२. पंचास्तिकाय गाथा ३४.
३३. तत्त्वार्थ सूत्र २/३६ - ७. / सर्वस्य - वही ५१८ १२. द्रव्य संग्रह गाथा ३३ , जैन धर्म और दर्शन, २/४२.
३४. सर्वाथसिद्धि २/२५ पृष्ठ १८३. पृष्ठ १२९. १३. समयसार गाथा १०९, २३७, २४१, १७७. ३५. सर्वाथसिद्धि ३६. भारतीय दर्शन
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काकन्दी दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र, पोस्ट-खुखुन्दु, जिला- देवरिया (उ.प्र.)