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________________ विषयानुक्रमणिका विषय श्रमण संस्कृति की व्यापकता ‘अध्यात्म-रहस्य’ में वर्णित स्वानुभूति का स्वरूप एवं प्रक्रिया 3 तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक में कर्मास्रव की दार्शनिक मीमांसा. 4 कर्म और पुनर्जन्म की व्याख्या मानव जीवन में श्रावकाचार : वर्तमान परिप्रेक्ष्य 1 2 भगवान अरिष्टनेमि का जीवन दर्शन : एक ऐतिहासिक अध्ययन 10 क्षपक की मनोवैज्ञानिकता : सल्लेखना के सन्दर्भ में लेखक का नाम -प्रो. डॉ. राजाराम जैन - डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल 11 पर्यावरण, आर्थिक विकास और जैन धर्म के सिद्धान्त - डॉ. रमेशचन्द जैन - डॉ॰ बसन्त लाल जैन - डॉ. भागचन्द्र जैन ‘भागेन्दु' 6 रत्नकरण्डक श्रावकाचार में वर्णित श्रावक-व्रतों का वैशिष्ट्य - डॉ. जिनेन्द्र कुमार जैन 47-57 7 Anekanta and Interculturality - Samani Dr. Chaitya Prajna 58-64 8 जैनदर्शन : मन का स्वरूप 65-75 9 - - पवन कुमार जैन - डॉ. समणी संगीतप्रज्ञा - - प्राचार्य पं. निहालचंद जैन पृष्ठ संख्या 5-13 14-24 डॉ. संगीता मेहता 25-30 31-39 40-46 76-85 86-91 92-96
SR No.538066
Book TitleAnekant 2013 Book 66 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2013
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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