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कर्मसिद्धान्त के कतिपय तथ्यों का विवेचन-विश्लेषण
प्रतिभाति बालिशानां प्रतिभासः स खलु भवबीजम्।।14।। पुरुषार्थसिद्धयुपाय 13. जैनदर्शन में कर्मवाद, पृष्ठ-1- डा0 श्री शेखर जैन 14. जैनधर्म- पृ. 92 पं. श्री कैलाशचन्द 15. परमात्मप्रकाश- पृष्ठ-0/59 16. कर्मप्रकृति- गाथा-24 17. पंचास्तिकाय- गाथा- 128-130 18. तत्त्वार्थसूत्र, अ.-2- अनन्तगुणे परे।।39।। अप्रतिघाते।।40।।
अनादि सम्बन्धेन च।।41।। सर्वस्य।।4211 निरुपभोगमन्त्यम्।।44।। 19-20 पद्मपुराण, सर्ग-14, पद्य-18, 19, 37, कर्मकाण्ड-गाथा-2 21. कर्मसिद्धान्त- पृष्ठ 54-57- श्री जिनेन्द्रवर्णी 22. जीवपरिणामहेदुं कम्मत्तं पुग्गला परिणमंति। पुग्गलकम्मणिमित्तं तहेव जीवो वि परिणमई।।80।।
-णवि कुव्वइ कम्मगुणे जीवो कम्मं तहेव जीवगणे। अण्णेण णिमित्तेण द् परिणामं जो दोण्हं
पि।। 81|| 23. गो. कर्मकांड- गाथा-33 तत्त्वप्र. टीका, सर्वार्थसिद्धि-8/4, त.रा.वा., तत्त्वार्थवृत्ति, 24. धवला, पृ.12, सूत्र-11 (4,2,8, 11) पृ. 287 25. तत्त्वार्थरा. 814 पृष्ठ-568 26. तत्त्वार्थवृत्ति, 8/4 पृष्ठ 464 तथा तत्त्वार्थराराजवा. 8/4 पृष्ठ-568 27. 'अनन्त शक्तिसंपन्न परमाणु से लेकर परमात्मा- पृष्ठ 336-337, ले. वैज्ञानिक धर्माचार्य
श्री कनकनन्दी जी महाराज 28-29. तत्त्वार्थसूत्र- 8/1, 8/2 30. तत्त्वार्थसूत्र- अध्याय 8/3 31. णाणस्स दसणस्सय आवरणं वेदणीय-मोहणियं।
आउगणामं गादंतरायमिदि पढिद मिदि सिंह।।20।। पड-पडिहारसिमज्जहलि चित्त-कुलालभंडयारीणं।
जह एदेसिं भावा तह विय कम्मा गणेयव्वा।।21 ।। गो. कर्मकाण्ड गाथा- 20-21 32. गो. क. गा. 39-40 33. गो. क. गाथा 41-42 34. गो. क. गाथा 43-44 35. गो. कर्मकाण्ड- गाथा-127, 128 तथा तत्त्वार्थसूत्र अ. 8/14, 15, 16, 17 सूत्र 36. तत्त्वार्थसूत्र- अ. 8/18, 19, 20 सूत्र तथा गो. कर्मकाण्ड गाथा- 139 37. तत्त्वार्थसूत्र- अ. 8/21, 22, 23 सूत्र 38. गो. कर्मकाण्ड- गाथा-161-162 39. गो. कर्मकाण्ड गाथा-155 40. जिसका दूसरा अंश न हो हो सके ऐसे शक्ति के अंश को 'अविभाग प्रतिच्छेद" कहते हैं। 41. गो. कर्मकाण्ड गाथा-180 42, वही गाथा- 184 43. त. सूत्र अ. 8/24 44. गो. कर्मकाण्ड गाथा- 192 45. वही गाथा- 193 46. वही गाथा- 194 47. जोगा पयडि पदेसा ठिदि अणुभाग कसायदो होति।।33।। द्रव्यसंग्रह
- कानूनगो वार्ड, बीना-470113