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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
प्रस्तावनाएँ :
__ग्रंथों की विस्तृत प्रस्तावनाएँ लिखना तथा ग्रंथ और ग्रंथकार का बाह्य एवं आन्तरिक परीक्षण करना मुख्तार साहब का व्यसन था। वे अपनी शोध-खोज के माध्यम से निकले शोध-बिन्दुओं को दृढ़ता से प्रस्तुत करते थे। शोध-खोज से प्राप्त सामग्री का कभी भी उन्होंने अपलाप नहीं किया। बड़े से बड़े विद्वान् के द्वारा लिखित बातें यदि शोध -खोज पूर्ण तथ्यों के विपरीत हैं तो उन्होंने उनका सतर्क पुरजोर खण्डन किया है। वे ग्रंथ प्रस्तावनाएँ लिखने में सिद्धहस्त थे। क्योंकि ग्रंथ, ग्रंथकार और पूर्ववर्ती तथा परवर्ती आचार्यों के साहित्य के आलोक में ग्रंथकार का काल निर्धारण करना मुख्तार साहब की विशेषता थी और यही कारण है कि उन्होंने एक ही नाम वाले एकाधिक आचार्यों को प्रकाश में लाने का अथक परिश्रम किया है। विस्तृत प्रस्तावनाओं का मूल कारण मुख्तार साहब का गहन अध्ययन है। साथ ही एक ही ग्रंथ का अनेक बार स्वाध्याय करना और नित्य नवीन तथ्यों का उद्घाटन करना भी अन्य कारण है।
मुख्तार साहब ने अनेक ग्रंथों की प्रस्तावनाएँ लिखी हैं, जिनमें उन्होंने ग्रंथ और ग्रंथकार के अतिरिक्त अन्य ग्रंथों से मूल ग्रंथ के प्रतिपाद्य का विशद विवेचन करते हुय तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जो ग्रंथ में प्राण फूंक देते हैं। उनके द्वारा अथक परिश्रम से स्थापित शोध निष्कर्ष आज भी मील के पत्थर के समान अडिग हैं और मुख्तार साहब की शोधप्रियता का गुणगान करते हैं।
___ मुख्तार साहब ने जिन ग्रंथों की प्रस्तावनाएँ लिखी हैं, उनमें उनके द्वारा अनूदित एवं संपादित ग्रंथों- समीचीन धर्मशास्त्र (रत्नकरण्ड श्रावकाचार), स्वयम्भूस्तोत्र, युक्त्यनुशासन, प्रभाचन्द्रीय तत्त्वार्थसूत्र, नागसेन का तत्त्वानुशासन, कल्याण कल्पद्रुम, अध्यात्म रहस्य, समाधि मरणोत्साह दीपक, योगसार प्राभृत आदि ग्रंथों के अतिरिक्त स्तुतिविद्या, समाधितंत्र
और पाण्डे राजमल्लकृत अध्यात्म कमलमार्तण्ड आदि की प्रस्तावनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय है। संस्कृत-हिन्दी कविताएँ:
आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार ने यद्यपि किसी संस्कृत पाठशाला में अध्ययन नहीं किया था, किन्तु संस्कृत-प्राकृत और अपभ्रंश आदि प्राचीन भाषाओं पर भी उनका असाध रण अधिकार था। इसीलिये उन्होंने जहाँ अनेक संस्कृत ग्रंथों के ऊपर हिन्दी भाष्य लिखकर अपने संस्कृतज्ञ होने का परिचय दिया है, वहीं संस्कृत भाषा में कविता लिखकर अपनी दक्षता प्रकट की है।
मुख्तार साहब द्वारा संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में लिखित कविताओं का संकलन 'युगवीर भारती' के नाम से प्रकाशित है। इसमें उनकी कविताओं का संकलन है। उपासना
खण्ड में 7, भावना खण्ड में 4, संबोधन खण्ड में 6, सत्प्रेरणा खण्ड में 7, संस्कृत वाग् विलास खण्ड में 10 एवं प्रकीर्ण खण्ड में 10- इस प्रकार इसमं कुल 44 कविताएं हैं। ये कविताएं सन् 1901 से सन् 1956 के मध्य मुख्तार साहब की लेखनी से प्रसूत हुई हैं। मेरी भावना :