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________________ अनेकान्त 63/3, जुलाई-सितम्बर 2010 छगलीकर, तृणकर, पलालकर, बुसकर, काष्ठकर, अंगारकर, सीताकर (हल पर लिया जाने वाला कर), जंघाकरजंगाकर ( चारागाह पर लिया जाने वाला कर), बलीवर्दकर, घटकर, चर्मकर, और अपनी इच्छा से दिया जाने वाला कर। 15 24 जैन-आगम-साहित्य में तात्कालिक पीड़ादायी कर-संग्रह-पद्धति के भी दर्शन होते हैं। बृहत्कल्पभाष्य में एक कथा आती है कि राजगृह में किसी वणिक् ने पक्की ईंटों का घर बनवाया, लेकिन गृहनिर्माता पूरा होते ही वणिक् की मृत्यु हो गयी। वणिक् के पुत्र बड़ी मुश्किल से अपनी आजीविका चला पाते थे। लेकिन नियमानुसार उन्हें राजा को एक रुपया कर देना आवश्यक था। ऐसी हालत में कर देने के भय से वे अपने घर के पास एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे; अपना घर उन्होंने जैन श्रमणों को रहने के लिए दे दिया।" वहीं पर शुल्क ग्रहण करने वालों की निर्दयता का वर्णन करते हुए कहा है कि 'शूर्पारिक का राजा व्यापारियों से कर वसूल करने में जब असमर्थ हो गया तो अपने शुल्कपालों को भेजकर उसने उनके घर जला देने का आदेश दिया। इस प्रकार ऐसी स्थितियों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय की कर-पद्धति भी आज के सदृश बोझिल हो चुकी थी। आज हमारे देश की कर व्यवस्था बोझिल होने के साथ-साथ अव्यवस्थित भी हो गयी है। 'द इकोनोमिक टाइम्स' के अनुसार केवल हमारे देश के 2: लोग ही टैक्स देते हैं। ये 2 लोग भी धनाड्य नहीं है अपितु मध्यमवर्गीय ही हैं।" ये मध्यमवर्गीय भी केवल वे लोग हैं जो वेतनभोगी हैं और जिनकी आय का लेखा-जोखा सरकार के पास है। यहां यह भी ध्यातव्य है कि केवल दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी देशों की तुलना में हमारा भारत देश सबसे अधिक टैक्स चुकाता है। 'द इकोनोमिक टाइम्स' ने एक सर्वेक्षण कराया और उसमें दुनिया के अलग-अलग देशों के वे सभी लोग जिनकी वार्षिक आय डेढ़ से दो लाख भारतीय रूपये के तुल्य है, उनके द्वारा देय टैक्स की दर जानने का यत्न किया गया। आय को समतुल्य स्तर पर पहुंचाने के लिए सर्वेक्षणकर्त्ताओं ने प्रत्येक देश की मुद्रा को उसकी वस्तु क्रय क्षमता और अन्तर्राष्ट्रिय विनिमय दर के आधार पर निर्धारित किया। जिनमें 9 से 15: कर चुकाने (डेढ़ से दो लाख की आय पर सरचार्ज मिलाकर) वाले देशों में सिंगापुर, थाईलैण्ड, ताइवान, अर्जेन्टीना आदि देशों के साथ अमेरिका भी शामिल है। पाकिस्तान व बांग्लादेश क्रमशः 20: व 18: कर चुकाते हैं। इंग्लैण्ड में यह दर 22: है तथा चीन में 25: है । लेकिन इन सब देशों से बढ़कर भारत अपने मध्यमवर्गीय सरकारी वेतनभोगी व्यक्ति से 3006 : की दर से कर वसूल करता है। 19 महदाश्चर्य तो तब होता है जब 'द इकोनोमिक टाइम्स' के इस सर्वेक्षण की ओर दृष्टि जाती है जिसमें यह बताने का यत्न किया है कि कौन सा देश कितना प्रतिशत कर - संग्रहीत धन कहाँ व्यय करता है। हमारे देश की सरकार हमसे जो टैक्स' वसूल करती है उस धन का 91: धन अपने व अपनी नौकरशाही के भोग-विलास में लुटा देती है। केवल 9: धन स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण व सड़कादि निर्माण में व्यय किया जाता
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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