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________________ अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 29 वैशाली और वज्जि संघ में गणराज्य का शासन था । वैशाली के कुण्डपुर में जैनों के 24वें तीर्थंकर महावीर का जन्म हुआ था । वैशाली बुद्ध की कर्मभूमि थी । बुद्ध यहाँ के महावन की कूटग्रहशाला में रहे । ( पृष्ठ 17-18 ) विदेह - तिरहुत राजा जनक का राज्य था । विदेह और उसकी राजधानी का नाम मिथिला था। जनकपुर राजा जनक की राजधानी थी विदेह के पूर्व में कौसिकी (कुसी), पश्चिम में गंडक, उत्तर में हिमालय और दक्षिण में गंगा नदी थी। बुद्ध के समय यह वज्जि देश के नाम से प्रसिद्ध था (पृ.35) कुण्डग्राम- मुजफ्फरपुर जिले में कुण्डग्राम वैशाली (बसाड़) का दूसरा नाम है। कुण्डग्राम यथार्थ में वासोकुण्ड है जो वैशाली का अंग है। यह तीर्थंकर महावीर का जन्म स्थल है। यह बौद्धों का कोटीग्राम है। महावीर के पिता सिद्धार्थ थे, जिन्हें चेटक की पुत्री (श्वेताम्बर परंपरानुसार बहिन ) त्रिशला ब्याही थी। अपने राज्य के 29वें वर्ष में अशोक द्वारा निर्मित स्तंभ में निर्यन्थ का उल्लेख है ( 107-108) 1 मगध - दक्षिण बिहार में स्थित है। सोन नदी पश्चिमी सीमा जरासंघ के समय मगध की राजधानी प्राचीन काल में गिरी ब्रजपुर (विद्यमान राजगृह) थी। बाद में, बुद्ध के समय अजातशत्रु ने, वैशाली को विजित करके पाटलीपुत्र को राजधानी बनाई। मगध देश गंगा सोन नदी के दक्षिण में बनारस से मुंगेर तक तथा दक्षिण की ओर सिंह भूमि तक फैला था ( 116-117)। अंग- भागलपुर और मुंगेर इसमें सम्मिलित है यह सोलह जनपदों में एक है। चंपा या भागलपुर इसकी राजधानी है। उत्तरी सीमा की पश्चिमी सीमा गंगा और सरजू का संगम थी। कुछ विद्वानों के अनुसार संथाल परगना भी उसमें सम्मिलित था। मगध सम्राट बिम्बसार ने इसे जीतकर (छटवीं शताब्दी ईसा पूर्व) मगध में मिला लिया था। अजात शत्रु विजेता बना। चम्पापुर में जैनों के बारहवें तीर्थंकर वासुपुज्य का जन्म हुआ था । (पृ. 8) राजगृही- प्राचीन मगध की राजधानी थी। नया नगर अजातशत्रु के पिता बिम्बसार ने स्थापित किया- (पृ.165)। शिशुनाग वंश के नौ नन्द राजाओं ने राज्य किया । डिक्सनरी ऑफ पॉलीप्रोपर नेम्स के अनुसार प्राचीनकाल में मगध देश गंगा नदी के दक्षिण में वाराणसी से मुंगेर तक फैला था, इसकी दक्षिणी सीमा दामोदर (दमूद) नदी के उद्गम स्थान कर्ण सुवर्ण (सिंहभूमि) तक मानी जाती थी। बौद्धकाल में मगध की सीमा पूर्व में चम्पा नदी पश्चिम में शोण (सोन) नदी, उत्तर में गंगा नदी और दक्षिण में विन्ध्य पर्वत माला थी। 23 शक्ति-संगम-तंत्र में मगध देश की सीमा - विस्तार निम्न प्रकार कहा है कालेश्वरं समारभ्य तप्तकुण्डान्तकं शिवे । मगधाख्यो कालेश्वर काल भैरव- नहि दुष्यति । अर्थ- कालेश्वर काल भैरव वाराणसी से सलेकर तप्तकुण्ड सीमा- कुण्ड-मुंगेर तक मगध नाम महा देश माना गया है।
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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