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________________ अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 डॉ. जगदीशचन्द्र जैन ने 'भारत के प्राचीन जैन तीर्थ' में भगवान महावीर के समय का भारत शीर्षक से एक नक्शा प्रकाशित किया है जो 500 ई.पूर्व का है। इस नक्शे के अनुसार गंगा नदी के उत्तर में मिथिला, विदेह, वैशाली स्थित है और गंगा नदी के दक्षिण में पाटिलपुत्र, नालंदा, राजगृह, मगध देश स्थित है। नक्शे में उस समय विद्यमान भारत के अन्य देश भी दर्शाये गये हैं। अंग जनपद की सीमाओं के बारे में डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री का यह कथन महत्वपूर्ण है- 'चम्पेय जातक (506) के अनुसार चम्पानदी अंग-मगध की विभाजक प्राकृतिक सीमा थी, जिसके पूर्व और पश्चिम ये दोनों जनपद बसे हुए थे। अंग जनपद की पूर्वी सीमा राजमहल की पहाड़ियाँ, उत्तरी सीमा कोसी नदी और दक्षिण में उसका समुद्र तक विस्तार था।"26 सांस्कृतिक तीर्थ का उद्भव विदेह-देश की उपरोक्त भौगोलिक परिसीमा में स्थित और, पुरातत्त्वीय, आगम एवं लोकगीतों से प्रमाणित 'वासोकुण्ड- वैशाली' की ढाई बीघा अहल्ल पावन भूमि, जो सदियों से भगवान महावीर की जन्म-भूमि कहलाती है, पर देश रत्न महामहिम प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने दि. 23.4.1956 को विशाल भव्य समारोह में भगवान महावीर जन्म भूमि स्मारक-पट्ट का अनावरण कर भारत के सांस्कृतिक तीर्थ को राष्ट्र को समर्पित किया और श्रावक श्रेष्ठि साहू शांति प्रसाद जी के अर्थ- सहयोग से स्थापित होने वाले 'प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान वैशाली' का शिलान्यास किया। इस उद्देश्य हेतु स्थानीय सर्वजाति के महानुभावों ने नौ एकड़ भूमि दान में देकर उदारता दर्शायी। लिच्छवी गणराज्य की विभूति भगवान महावीर महामहोपाध्याय पं. बलदेव उपाध्याय के अनुसार 'वैशाली में अनेक विभूतियाँ उत्पन्न हुई। परन्तु उनमें सबसे सुन्दर विभूति हैं- भगवान महावीर, जिनकी प्रभा आज भी भारत को चमत्कृत कर रही है। लौकिक-विभूतियाँ भूतलशायिकी बन गई, परन्तु यह दिव्य- विभूति आज भी अमर है, और आने वाली अनेक शताब्दियों में अपनी शोभा का इसी प्रकार विस्तार करती रहेगी। बौद्धधर्म से जैनधर्म बहुत पुराना है। इसका संस्थापन भगवान ऋषभदेव ने किया था, जैनियों की यही मान्यता है। तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ वस्तुतः ऐतिहासिक पुरुष हैं। वे महावीर से लगभग दो सौ वर्ष पहले हुए थे। वे काशी के रहने वाले थे। महावीर ने उनके धर्म में परिवर्तन कर उसे नवीन रूप प्रदान किया। भारत का प्रत्येक प्रान्त जैनधर्म की विभूतियों से मण्डित है। महावीर गौतमबुद्ध के समसामयिक थे, परन्तु बुद्ध के निर्वाण से पहिले ही उनका परिनिर्वाण हो गया था। इस प्रकार वैदिकधर्म से पृथक् धर्मों के संस्थापकों में महावीर वर्द्धमान ही प्रथम माने जा सकते हैं, और उनकी जन्मभूमि होने से वैशाली की पर्याप्त-प्रतिष्ठा है। वासोकुण्ड-वैशाली दो कारणों से विख्यात हुई, प्रथम- लिच्छवी गणराज्य और
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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