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________________ अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 विदेह देश के विस्तार के संबन्ध में शक्ति-संगम-तन्त्र के सुन्दरी खण्ड में इस प्रकार कहा गया है।8 गण्डकी तीरमारभ्य चम्पारण्यान्तकं शिवे। विदेहभूः समाख्याता तैरभुवत्यमियातुसा॥ अर्थात् तीर भुक्ति कही जाने वाली विदेह भूमि गण्डकी (गण्डक नदी) के तीर से लेकर चंपारण की अंतिम सीमा तक फैली हुई है। बृहविष्णुपुराण में विदेह अथवा तीरभुक्ति देश की सीमा दर्शायी गयी है, जो इस प्रकार है 'गंगानदी और हिमालय पर्वत के मध्य पन्द्रहवां वाला परमपवित्र तीरभुक्ति (विदेह) नामक देश है। कौशिकी (कोश से लेकर गण्डकी (गण्डक) तक विदेह की पूर्व से पश्चिम तक की सीमा 24 योजन (96कोस) है। गंगा नदी से लेकर हैभवत वन (हिमालय तक चौडाई 16 योजन (64कोस) है। ऐसे विदेह अथवा तीरभुक्ति देश में तीनों लोकों के विख्यात पाँच कारणों से पुण्यशाली मिथिला नाम की नगरी है।' यह ज्ञातव्य है कि तीरभुक्ति या तिरहुत नाम आज भी बहुश्रुत है और तिरहुत नाम का संभाग (प्रमण्डल) भी बना हुआ है। इसी विदेह या तीरभुक्ति प्रदेश में वैशाली, मिथिला आदि नगर थे। भारतीय पुरातत्व के पुरोधा अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी कृति 'द एन्सिएन्ट ज्योग्राफी ऑफ इन्डिया' में चीनी यात्री हुआनसांग (ईसा 637-639) की यात्रा का वर्णन सविस्तार नगरों की दूरी और परिस्थिति दर्शाते हुए किया है। यात्रावृत्त का नक्शा भी संलग्न किया है। नक्शे के अनुसार गंगा नदी के उत्तरी भाग में नेपाल की तराई तक तीरभुक्ति, वैशाली, सारन, कुशीनगर, पावा, जनकपुर आदि स्थित है। नक्शे में गंगानदी के दक्षिणी भाग में मगध राज्य दर्शाया है जिसमें पाटलीपुत्र-पटना, नालंदा-बड़गांव, राजगृही, बोधगया आदि स्थित है। हुआनसांग के अनुसार मगध का विस्तार 833 वर्ग मील था। इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में बनारस, पूर्व में हिरण्य पर्वत या मुंगेर और दक्षिण में किरण स्वर्ण या सिंहभूमि थी। हुआनसांग की वैशाली, ब्रजी, नेपाल मगध देश आदि की यात्रा का विवरण उक्त पुस्तक के पृ. 373 से 383 तक में दिया है, जो मूलतः पठनीय है। इससे अनेक प्रकार के भौगोलिक भ्रम, कुंठाएं एवं सोदशीय दुःकल्पनाओं का भ्रम दूर होकर यथार्थ ज्ञान होता है। पुरातत्व एवं इतिहास वेत्ता श्री नन्दू लाल डे ने अपनी कृति प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का भौगोलिक शब्द कोष में बिहार राज्य के महत्वपूर्ण देश और नगरों का विस्तृत परिचय संदर्भ सहित दिया है, जिसका संक्षेपसार इस प्रकार है वैशाली- बसाड मुजफ्फरपुर (तिरहुत) जिला में हाजीपुर से 18 मील उत्तर की ओर और गंडक नदी की बायीं ओर स्थित है। वैशाली देश (गणराज्य) का नाम था साथ ही वज्जि या लिच्छवियों की राजधानी भी थी जो बुद्धकाल में समृद्धि के शिखर पर थी। वैशाली के उत्तर में विदेह और दक्षिण में मगध राज्य था। महापरिनिवाणसुत्तं के अनुसार
SR No.538063
Book TitleAnekant 2010 Book 63 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2010
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size1 MB
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