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अनेकान्त 62/4, अक्टूबर-दिसम्बर2009
मांसाहार हिंसा की एक घिनौनी शक्ल है जिसने हमारे उपग्रह को एक "वधशाला उपग्रह" में तब्दील कर दिया है। हम कत्लखानों में निरीह पशुओं की ओर युद्धान्मादों में निर्दोष मनुष्यों की दिन दहाड़े हत्या कर रहे हैं। यह दुश्चिन्ता का विषय है- अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
हमें खुले शब्दों में हिंसा के दुष्परिणामों की जानकारी लोगों को देनी चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि अहिंसा के जिस स्वरूप की चर्चा आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने की थी उसके निहितार्थ क्या थे ? बताना चाहिए कि हम किस तरह प्राणिमात्र को सुखी और निर्विघ्न बनाकर अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।
सामाजिक क्षेत्र में अहिंसा का अर्थ था मनुष्यों तथा मनुष्योपयोगी पशु-पक्षियों को न मारना अर्थात् आंशिक अहिंसा थी और न मारने का लक्ष्य था-सामाजिक सुव्यवस्था का निर्माण तथा स्थायित्व।
आत्मा की स्वतंत्रता को स्वीकार कर लेने से अहिंसा को व्यापकता मिलती है। अहिंसा की भावना को समझने और बलवान बनाने के लिए आत्मा की समानता का सिद्धांत अत्यंत उपयोगी है भगवान महावीर ने कहा-प्राणी मात्र को आत्म तुल्य समझो।" हे पुरुष ! जिसे मारने की इच्छा करता है, जिस पर शासन करने की इच्छा करता है, जिसे अपने वश मे करने का विचार करता है- वह तेरे जैसा ही प्राणी है।"
सापेक्षता है तो शोषण नहीं होगा, अपराध नहीं होगा, युद्ध और हिंसा नहीं होगी। सापेक्ष चिंतन सामाजिक संबंधों की भूमिका में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। मानवीय संबंधों में जो कटुता दिखाई दे रही है उसका हेतु निरपेक्ष दृष्टिकोण है। संकीर्ण राष्ट्रवाद और युद्ध भी निरपेक्ष दृष्टिकोण के परिणाम है। सापेक्षता के आधार पर संबंधों को व्यापक आयाम दिया जा सकता है। ___मैं रहूंगा या वह रहेगा, अहिंसा की परिधि में इस चिंतन को स्थान नहीं मिल सकता। मैं भी रहूंगा, वह भी रहेगा- इस प्रकार सहअस्तित्व की भाषा में सोचना अहिंसा का दर्शन है। आचार्य उमास्वामी का एक प्रसिद्ध सूक्त है-"परस्परोपग्रहो जीवानाम्।" परस्परता कीअनुभूति सह अस्तित्व के संबंध में एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सूत्र है।
विकास की मात्र भौतिक अवधारणा का विकल्प अहिंसक व्यवस्था से ही संभव है। अहिंसक व्यवस्था में साधन-शुद्धि, व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा, उपभोग की सीमा, अर्जन के साथ विसर्जन तथा विलासिता की सामग्री के उत्पादन और आयात पर रोक ही व्यवस्था को ईमानदारी के साथ व्यक्ति तथा सरकार दोनों को पालन करना होगा इसके साथ साथ अहिंसक तकनीक की खोज, अहिंसक तरीकों से कलह शमन सहकार का अर्थशास्त्र तथा स्वदेशी को आवश्यक स्थान देना होगा। ___अहिंसक आर्थिक व्यवस्था के अन्दर ही अहिंसक समाज- व्यवस्था का स्वरुप छिपा होता है। जिस समाज में आर्थिक शोषण होता है वह समाज अहिंसक नहीं है अहिंसक समाज का आधार अशोषण है। अशोषण के लिए श्रम तथा स्वावलम्बन की चेतना और व्यवस्था का विकास, व्यवसाय में प्रामाणिकता तथा क्रूरता का वर्जन अनिवार्य है।