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अनेकान्त 61/1-2-3-4
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कदापि नहीं, क्योंकि सिद्ध-परमेष्ठी की परमशुद्ध सत्ता में तो विभाव का असद्भाव है। तो फिर, भगवान महावीर ने उन पर्यायों को कैसे जाना (क्योंकि, जैसा कि पिछले अनुच्छेद में देख आए हैं, षट्खण्डागम एवं कसायपाहुड के समर्थ टीकाकार, आचार्य वीरसेन स्वामी के अनुसार,88 केवलज्ञान द्वारा अतीत और अनागत पर्यायों का ग्रहण वर्तमान अर्थ/ज्ञेय के ग्रहणपूर्वक ही होता है)? __ इस प्रश्न के सुविचारित उत्तर में ही प्रकृत विवाद का सम्यक् हल मौजूद है- जिस प्रकार उन वैभाविक पर्यायों के व्यक्तिरूप' अस्तित्व का सिद्ध-अवस्था में असदभाव (=प्रध्वंसाभाव) होते हुए भी, वे पर्यायें किसी अपेक्षा से, भूतशक्तियों या भूत-योग्यताओं के रूप में 89 सिद्ध-अवस्था में मौजूद हैं [अन्यथा, यदि वे पर्यायें सर्वथा असद्रूप होती तो सर्वज्ञ भगवान् महावीर स्वामी उन पर्यायों को कैसे जान सकते थे?]; ठीक उसी प्रकार अन्य सभी चेतन-अचेतन पदार्थों में भी भूत-भविष्यत् पर्यायों के अस्तित्व के बारे में जानना चाहिये, क्योंकि जिनागम के समस्त मूल सिद्धान्त सभी पदार्थों पर समान रूप से लागू (applicable) होते हैं। अतः, जिस प्रकार, सिद्ध-अवस्था में भूत-पर्यायें, भूतनैगमनय की विषयभूत भूतशक्तियों/योग्यताओं के रूप में मौजूद हैं, उसी प्रकार, समस्त चेतन अचेतन पदार्थों में भी भूत-भविष्यत् पर्यायें, भूतभाविनैगमनयों की विषयभूत" भूत-भविष्यत् शक्तियों/योग्यताओं के तौर पर मौजूद होनी चाहियें। __परन्तु, जो लोग वर्तमान ज्ञेय में अनेक योग्यताओं के अस्तित्व को ही मंजूर नहीं करते, उनके यहाँ तो प्रत्यक्षज्ञानी द्वारा भूत और भविष्यत पर्यायों का जाननपना ही नहीं बन सकेगा, क्योंकि शक्तियों या योग्यताओं के रूप में ही उन भूत-भविष्यत् पर्यायों का वर्तमान पदार्थ में अस्तित्व पाया जाता है, अन्यथा नहीं। जो लोग स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा के रचयिता “स्वामी कुमार' के "णाणासत्तीहि संजुदा अत्था," (ऊपर, अनुच्छेद 9 में उद्धृत किये जा चुके) इस वचन को स्वीकार नहीं करते – पदार्थों में नाना पर्यायशक्तियों या पर्याययोग्यताओं के अस्तित्व को ही स्वीकार नहीं करते, उनकी मान्यता में तो वे वर्तमान अर्थ/ज्ञेय में सर्वथा असत् ठहरेंगीं; और, सर्वथा असत् को केवलज्ञानी कैसे जानेंगे (क्योंकि, श्रीमद् वीरसेनाचार्य के अनुसार, तब तो खरविषाण आदि में भी केवलज्ञान की प्रवृत्ति हो जाने के दोष का अस्वीकार्य प्रसंग प्राप्त हो जाएगा)?2