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________________ 86 अनेकान्त 61/1-2-3-4 भविष्य में जिसके होने की आशंका है, ऐसी विडम्बनापूर्ण स्थिति को ध्यान में रखकर इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। दूरदर्शी, तत्त्वद्रष्टा आचार्य भविष्य की बात विचारकर ऐसा उपदेश देते थे जिससे कि आने वाले समय में भी कोई अनर्थकारी स्थिति न बनें। इसलिये सभी तत्त्वजिज्ञासुओं, निष्पक्ष विद्वानों, वीतरागी आचार्यों एवं समाज के हितेच्छुओं को भली-भॉति निर्णय करके उक्त मिथ्या मान्यता का निरसन करना चाहिये। अन्यथा सभी शास्त्रों का उपदेश निरर्थक हो जाएगा। सर्वविदित है कि आर्ष आचार्यों ने सर्वत्र पुरुषार्थप्रधान उपदेश दिया है, फिर आज नियतिप्रधान उपदेश की ज़रूरत क्यों पड़ गई? कभी सोचा है कि महान, वीतरागी, दूरदर्शी आचार्यों के सम्यक् उपदेशों की अवहेलना/अवज्ञा करने के क्या गम्भीर परिणाम होंगे? यदि नियतिवादियों का स्वघोषित (self-styled) निरूपण इसी प्रकार चलता रहा तो आने वाले समय में एकान्त नियतिवाद तो जिनागम होने का दावा करने लगेगा, जबकि आर्ष आचार्यों के जिनागमसम्मत कथन नज़रअंदाज़ किये जाते-जाते अप्रासंगिक (irrclevant) करार दिये जाने लगेंगे! ___ शायद अपने किसी प्रच्छन्न अजेण्डा (hidden agenda) के तहत काम करने वाले; और आर्ष आचार्यों के सारगर्मित, कल्याणकारी सम्बोधनों को मात्र 'उपदेश देने की शैली' कहकर जिनवाणी की अवज्ञा करने वाले ये नियतिवादी क्या वास्तव में जिनशासन के 'अनुयायी' हैं? सुधी पाठक स्वयं निर्णय करें। 17. ज्ञेयपदार्थ की भूत एवं भविष्यत् पर्यायें : निश्चय से उसके अस्तित्व में असद्भूत; किन्तु वर्तमान प्रत्यक्षज्ञान में झलकी, अतः उपचार से 'ज्ञेयपदार्थ में सदभूत' कहलाई अपने प्रतिपक्षी ज्ञानावरण कर्म के समूल क्षय से प्रकट होने वाले, निरावरण केवलज्ञान का माहात्म्य असीम-अपरिमित है; इसीलिये उस दिव्यज्ञान का विषय समस्त द्रव्य और उनकी समस्त पर्यायें हैं : सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य (त० सू०, 1/29)। इतना ही नहीं, केवलज्ञान ‘असहाय' अर्थात् सहायनिरपेक्ष है, वह किसी भी पदार्थ की सहायता की अपेक्षा नहीं रखता। जहॉ विनष्ट/अतीत और अनुत्पन्न/अनागत पर्यायों को जानने का सन्दर्भ है, केवलज्ञान वहाँ ज्ञेय
SR No.538061
Book TitleAnekant 2008 Book 61 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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