________________
अनेकान्त 61/1-2-3-4
उनमें काललब्धि व होनहार तो कोई चीज़ नहीं है; जिस काल में कार्य बनता है वही काललब्धि, और जो कार्य हुआ, वही होनहार। तथा जो कर्म के उपशमादिक हैं, वह पुदगल की शक्ति है; उसका आत्मा कर्ता-हर्ता नहीं है। पुनश्च, पुरुषार्थ से उद्यम करते हैं, सो यह आत्मा का कार्य है; इसलिये आत्मा को पुरुषार्थ से उद्यम करने का उपदेश देते हैं। वहाँ, यह आत्मा जिस कारण से कार्यसिद्धि अवश्य होती हो, यदि उस कारणरूप उद्यम करे, तब तो अन्य कारण मिलते ही मिलते हैं, और कार्य की भी सिद्धि होती ही होती है। परन्तु, जिस कारण से कार्यसिद्धि होती हो, अथवा नहीं भी होती हो, उस कारणरूप यदि उद्यम करे, वहाँ अन्य कारण मिलें तो कार्यसिद्धि होती है, न मिलें तो सिद्धि नहीं होती। सो जिनमत में जो मोक्ष का उपाय कहा है, उससे मोक्ष होता ही होता है। इसलिये जो जीव पुरुषार्थ से जिनेश्वर के उपदेशानुसार मोक्ष का उपाय करता है, उसके काललब्धि व होनहार भी हुए, और कर्म के उपशमादि हुए हैं, तो वह ऐसा उपाय करता है। इस प्रकार, जो पुरुषार्थ से मोक्ष का उपाय करता है, उसके सर्व कारण मिलते हैं और उसको अवश्य मोक्ष की प्राप्ति होती है - ऐसा निश्चय करना। परन्तु जो जीव पुरुषार्थ से मोक्ष का उपाय नहीं करता, उसके काललब्धि व होनहार भी नहीं हैं; और कर्म के उपशमादि नहीं हुए हैं, तो यह उपाय नहीं करता। इसलिये जो पुरुषार्थ से मोक्ष का उपाय नहीं करता, उसके कोई कारण नहीं मिलते, और उसको मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती - ऐसा निश्चय करना।"46 8. 'द्रव्ययोग्यता' और 'पर्याययोग्यता' जगत का प्रत्येक कार्य उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य, इस स्वभावत्रयी के अनुसार ही होता है, यह सर्वमान्य सिद्धान्त है। प्रत्येक द्रव्य में अनेकानेक मूल 'द्रव्य-शक्तियाँ या 'द्रव्य-योग्यताएँ' समान रूप से सुनिश्चित हैं। उदाहरण के लिये, प्रत्येक जीव में सिद्ध होने की शक्ति अथवा योग्यता है - वर्तमान में वह जीव निगोद पर्याय में है अथवा पंचेन्द्रिय पर्याय में, इसका प्रश्न नहीं है। इसी प्रकार, चूंकि प्रत्येक जीव चौदह गुणस्थानों सम्बन्धी असंख्यात लोकप्रमाण भिन्न-भिन्न वैभाविक परिणामों को करने में समर्थ है, अतएव प्रत्येक संसारी जीव में असंख्यात लोकप्रमाण द्रव्ययोग्यताएँ विद्यमान हैं।
एक जाति के अनेक द्रव्यों में द्रव्ययोग्यताएँ समान होते हुए भी, अमुक चेतन पदार्थ या अमुक अचेतन पदार्थ में वर्तमान स्थूल/व्यंजनपर्याय सम्बन्धी