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अनेकान्त 61/1-2-3-4
ब्रिटिश राज्य के सरकारी पदों पर नियुक्त प्रशासनाधिकारी भी आपसे मार्ग-दर्शन प्राप्त कर अनेक प्रकार के व्रत एवं नियम स्वेच्छा से ग्रहण करते थे। ___ आचार्यश्री के सन् 1927 के चातुर्मास में सांगली दरबार और सांगली से मिरज पधारने पर श्रीमंत सरकार वाला साहेब स्वयं आचार्यश्री के दर्शन के लिए पधारे। श्रावकों ने धर्म सभा में महाराज साहब के लिए सिंहासन लगाना चाहा। परन्तु इसके पहले ही विचारशील नरेश ने उनसे कह दिया कि मैं संसार-त्यागी, तपस्वी महात्माओं के सामने सिंहासन पर नहीं बैलूंगा। सब लोगों के साथ जमीन पर बैलूंगा। महाराज साहब ने सभा में खड़े होकर आचार्यश्री से प्रसाद मांगा तो आचार्यश्री ने सस्मित कहा – “आप पूर्वसंचित पुण्योदय से नरपति हुए हैं। आपके शासन में स्वार्थान्ध एवं अज्ञानी लोगों की दुर्वासना से, विचरने वाले निरपगध जीव कभी सताए नहीं जायें और न्यायपूर्ण आपका शामन बना रहे - यही हमारा प्रसाद है।" महाराजा महोदय के आग्रह पर आपने उन्हें एक ग्रंथ भी भेंट किया। महाराजा ने आदरपूर्वक ग्रंथ ग्रहण किया और ग्रन्थ के स्वाध्याय का नियम लिया। इसी प्रकार की अनेक घटनाएं समय-समय पर घटती रहीं। एक दो घटनाओं का उल्लेख तत्कालीन भारतवर्ष की परिस्थितियों को समझने के लिए प्रस्तुत है -
व्यावर चातुर्मास सन् 1933 की समाप्ति पर संघ अजमेर, महकमपुरा आदि होते हुए शाहपुरा आया। अजैनों ने संघ के विहार पर पाबन्दी का हुक्म ले लिया। इसी प्रकार का संकट 1926 में इस्लामपुर में भी आया था। आचार्यश्री ने आहार का त्याग कर दिया और णमोकार मन्त्र की शरण ले ली। राय बहादुर टीकमचंद ने अफसरों से मिलकर और वस्तुस्थिति की जानकारी देकर इस आदेश को रद्द करवाया। संघ यहां से विहार कर पाटोली, कटड़ी, चुलेसरा, भीलवाड़ा, हमीरगढ़, चित्तौड़ होकर प्रतापगढ़ पहुंचा। पूज्य आचार्यश्री के उपदेश से प्रभावित होकर संघपति सेठ पूनमचन्द जी घासीलाल जी ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कराने का निश्चय किया। दीक्षा कल्याणक के अवसर पर संघपति ने एक लाख रुपए के दान की घोषणा की जिसके ब्याज की राशि से विधवाओं के आश्रम एवं जीर्णोद्धार की व्यवस्था की गई। आचार्य महाराज की धर्मसभाओं एवं धार्मिक महोत्सवों के माध्यम से इसी प्रकार शताधिक विद्यालयों, गुरुकुल, छात्रावास, बाल आश्रम, विधवाश्रम एवं अस्पतालों का निर्माण हुआ है। दानवीर सर सेठ हुकमचंद जैन (इन्दौर), सेठ चैनसुखदास जी पाण्डया आदि इस अवसर पर प्रतापगढ़ के नरेश से मिले। जिसके