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________________ अनेकान्त 61/1-2-3-4 आज जम्बूद्वीप की भौगोलिक पहचान भारतवर्ष सहित दक्षिण पूर्व एशिया के भूगोल से की जाती है। आग्नीध्र इसी जम्बूद्वीप का शासक था । आग्नीध्र के नौ पुत्र हुए- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्वान्, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल | आग्नीध्र ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नाभि को दक्षिण की ओर स्थित 'हिमवर्ष' का राज्य दिया जो बाद में नाभि के पौत्र भरत के नाम पर 'भारतवर्ष' के रूप में प्रसिद्ध हुआ । " नाभिपुत्र ऋषभ ने दीर्घकाल तक धर्मपूर्वक शासन करते हुए विविध प्रकार के यज्ञों का अनुष्ठान किया और उसके बाद भरत को राज्य सौंपकर स्वयं तपस्या के लिए चले गए।" 'विष्णुपुराण' में 'जम्बूद्वीप' और उसमें स्थित 'भारतवर्ष' का यज्ञदेश के रूप में विशेष महामण्डन किया गया है। इस पुराण के अनुसार 'जम्बूद्वीप' में यज्ञमय यज्ञपुरुष भगवान् विष्णु का सदा यज्ञों द्वारा भजन किया जाता है जबकि अन्य द्वीपों में उनकी अन्य प्रकारों से उपासना होती है।'' 'भारतवर्ष' जम्बूद्वीप का सर्वश्रेष्ठ देश माना गया है क्योंकि यह कर्मभूमि है, अन्य देश भोगभूमियां हैं।" स्वर्ग के देवता भी इस भारत देश में जन्म लेने वाले लोगों से ईर्ष्या रखते हुए निरन्तर यही गीत गाते हैं कि जिन्होंने स्वर्ग और अपवर्ग के मार्गभृत 'भारतवर्ष' में जन्म लिया है वे लोग हम देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं। जो लोग इस कर्मभूमि में जन्म लेकर अपने फलाकाङ्क्षा से रहित कर्मों को परमात्मस्वरूप श्री विष्णु भगवान् को अर्पण करने से निर्मल होकर अनन्त में लीन हो जाते हैं, वे धन्य हैं 148 गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे । स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरस्त्वात् ॥ कर्माण्यसङ्कल्पिततत्फलानि संन्यस्य विष्णौ परमात्मभूते । अवाप्य तां कर्ममहीमनन्ते तस्मिल्लयं ये त्वमलाः प्रयान्ति ॥" आग्नीध्र ने अपने प्रजापति के समान अन्य आठ पुत्रों में से किम्पुरुष को 'हेमकूट' (कैलास हिमालय) का, हरिवर्ष को 'नैषध' का, इलावृत को 'इलावर्तवर्ष' (मध्य मेरु) का, रम्य को 'नीलाचलवर्ष' का, हिरण्वान् को 'श्वेतवर्ष' का, कुरु को श्रृङ्गवान् पर्वत के उत्तर की ओर स्थित 'कुरुवर्ष' का, भद्राश्व को मेरुपूर्व 'भद्राश्ववर्ष' का और केतुमाल को 'गन्धमादनवर्ष' का राज्य सौंपा। " 'हिमवर्ष' अर्थात् 'भारतवर्ष' के राजा नाभि और उनकी पत्नी मेरुदेवी से ऋषभ नामक पुत्र का जन्म हुआ।" 'भागवतपुराण' के अनुसार ऋषभ की पत्नी का नाम जयन्ती था, जिससे सौ पुत्र हुए और उनमें भरत ज्येष्ठ था।" उन सौ पुत्रों
SR No.538061
Book TitleAnekant 2008 Book 61 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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