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अनेकान्त 61/1-2-3-4
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वस्तुतः वैदिक एवं जैन पुराणों द्वारा प्रतिपादित मन्वन्तर परम्परा अथवा कुलकर परम्परा प्रागैतिहासिक पूर्वापर कालनिरूपण की भारतीय इतिहासदृष्टि है। स्वायम्भुव मनु नामक प्रथम मन्वन्तर से पौराणिकों के अनुसार मानवीय राजाओं का इतिहास प्रारम्भ हो जाता है। 'विष्णुपुराण' के अनुसार प्रथम मनु के दो पुत्र थे. प्रियव्रत और उत्तानपाद। उत्तानपाद के दो पुत्र हुए, उत्तम और ध्रुव। ध्रुव से शिष्टि और भव्य का जन्म हुआ। भव्य से शम्भू, और शिष्टि से रिपु आदि छह पुत्र हुए जिनमें रिपु का पुत्र चाक्षुष था। चाक्षुष से मनु हुए और मनु के कुरु, पुरु आदि दस पुत्र हुए। कुरु के अङ्ग आदि छह पुत्र थे। अङ्ग की स्त्री सुनीथा से वेन नामक पुत्र हुआ। वेन आत्मदम्भी और निरंकुश प्रजापति था। क्रोधवश ऋषियों ने वेन को मार दिया तथा उसके दाहिने हाथ से 'पृथु' को उत्पन्न किया।' पुराणों के अनुसार राजा 'पृथु' विष्णु का अवतार था इसलिए ऋषि-मुनियों ने वनपुत्र 'पृथु' का विधिवत् राज्याभिषेक किया। इस प्रकार वैदिक पुराणों के अनुसार राजा पृथु से राज्य संस्था का विधिवत् इतिहास प्रारम्भ होता है। पृथु से पहले पृथिवी में पुर, ग्राम आदि का विभाजन नहीं था। पृथु ने भूमि को समतल बनाया, उसमें ग्रामों और नगरों की स्थापना की और लोगों के जीवन निर्वाह हेतु कृषि, गोपालन, व्यापार आदि की व्यवस्था की। ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि जैन पौराणिक परम्परा ने आदि समाजव्यवस्था के प्रवर्तन का जो श्रेय आदि तीर्थङ्कर भगवान् ऋषभदेव को दिया है वैदिक परम्परा में वही श्रेय भगवान् विष्णु के अवतार राजा पृथु को दिया जाता है। पृथुवैन्य का सम्बन्ध उत्तानपाद शाखा से है किन्तु ऋषभदेव का सम्बन्ध प्रियव्रत शाखा से है।
'विष्णुपुराण' के अनुसार स्वायम्भुव मनु के ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत का विवाह प्रजापति कर्दम की पुत्री से हुआ था, जिससे सम्राट् और कुक्षि नाम की दो कन्याएं और आग्नीध्र, अग्निबाहु, वपुष्मान्, ज्योतिष्मान्, द्युतिमान्, मेधा, मेधातिथि, भव्य, सवन और पुत्र नाम के दस पुत्र हुए। इनमें से मेधा, अग्निबाहु
और पुत्र - ये तीन पुत्र योगपरायण होने से विरक्तभाव हो गए । उन्हें राज्य में किसी प्रकार की रुचि नहीं थी। राजा प्रियव्रत ने अपने शेष सात पुत्रों को सात द्वीपों का राज्य इस प्रकार से बांट दिया - आग्नीध्र को जम्बूद्वीप, मेधातिथि को प्लक्षद्वीप, वपुष्मान् को शाल्मलद्वीप, ज्योतिष्मान् को कुशद्वीप, द्युतिमान् को क्रौञ्चद्वीप, भव्य को शाकद्वीप और सवन को पुष्करद्वीप।"