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________________ अनेकान्त 60/1-2 इस प्रकार लगभग 800 वर्षों तक मौर्य सम्राट द्वारा निर्मापित " सुदर्शन" झील से पश्चिमी देशों में सिंचाई का कार्य सुचारु रूप से चलता रहा। वर्तमान सरकार को इसका पुनः जीर्णोद्धार कराना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के रचनात्मक कार्यों से प्राचीन भारतीय कृषि एवं सिंचाई व्यवस्था को अभूतपूर्व गौरव प्राप्त होता है । 60 संदर्भ : 1. भद्रवाहु चाणक्य चन्द्रगुप्त प्रस्तावना पृ. 20 डा. राजाराम जैन 2. वही पृ. 20, 3. वही पृ.20 4. वही पृ. 22 5. वही पृ. 22 6. वही पृ. 22 7. वही पृ. 22 8. वही पृ. 229. वही पृ. 22 10. भारतीय इतिहास कोष पृ. 143, 11. वही पृ. 502, 12. वही पृ. 89 13. वही पृ. 72 14. वही पृ. 265 15. वही पृ. 143-44, 484 व 387-88 16. वही पृ. 404 17. वही पृ. 143 तथा मौर्यकालीन भारत पृ. 15 18. भा. इ. को पृ.144 19. वही पृ. 144 व 380 20. वही पृ. 144 21. मौर्यकालीन भारत - कमलापति त्रिपाठी पृ. 15 22. वही पृ. 15 23. वही पृ. 85 24. वही पृ. 8725. भा. इ. को पृ. 245 & Age of The nandas & Mauryas by A.K. Neelkant Shastri Page 155 26. Immortal India vol 11 page 119-12027. सुंदर्शण चरिउ-मुनि नयनन्दि रु. 1043 प्राकृत जैन शोध संस्थान से प्रकाशित रामचन्द्र मुमुक्षु कृत पुण्यास्रव कथा कोष जीवराज जैन ग्रंथमाला से प्रकाशित चतुर्थ संस्करण सन् 2006 पृ. 84-85, हरिपेणाचार्य कृत बृहत्कथाकोष सिंधि जैन ग्रंथमाला बम्बई सन् 1943 पृ. 196-131, प्रभाचन्द्राचार्य कृतकथा कोष. मणिकचन्द दि. जैन ग्रंथमाला प्रथम संस्करण सन् 1974 पृ. 42-43 तथा भगवती आराधना, शिवकोटि आचार्य कृत विजयोदया टीका अपराजितसूरि, भा. टीका- पं कैलाशचन्दजी शास्त्री जीवराज जैन ग्रंथमाला सोलापुर से प्रकाशित, तृतीय सस्करण सन् 2006, पृ. 474 गाथा 758 28. भद्रवाहु चा. कथानक प्रस्तावना एवं जैन साहित्य का इतिहास पूर्व पीठिका पृ. 184-85 29. मौर्यकालीन भारत पृ. 87 30. वही पृ. 87 31. भारतीय अभिलेख संग्रह भाग 3 सं. 14 by Dr. फ्लीट. D-2 / 20 जनकपुरी नई दिल्ली - 58
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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