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________________ अनेकान्त 60/3 परिग्रह रखने और मकान में रहते हुए स्त्री-पुत्रादि से भी लगाव घटाने का संकेत दिया है। 10. अनुमति त्याग प्रतिमा ____दार्शनिक आदि नौ प्रतिमाओं के अनुष्ठान में तत्पर जो श्रावक धनधान्य आदि परिग्रह, कृषि आदि आरम्भ और इस लोक सम्बन्धी विवाह आदि कर्म में मन-वचन-काय से अनुमति नहीं देता वह अनुमति विरत है।32 ___दसवीं प्रतिमाधारी श्रावक की विशेष विधि का कथन लाटी संहिता में प्राप्त होता है। पं. आशाधर जी से पूर्व किसी श्रावकाचर में यह वर्णन नहीं है। यह श्रावक भोजन में यह बनाना और यह नहीं बनाना, ऐसा आदेश नहीं देता। मुनि की तरह उसे प्रासुक, शुद्ध अन्न देना चाहिए। घर में रहे, सिर के बाल आदि कटवाये न कटवाये, उसकी इच्छा है। अब तक न तो वह नग्न ही रहता है और न किसी प्रकार का वेष ही रखता है। चोटी, जनेऊ आदि रखे या न रखे उसकी इच्छा है। जिनालय में या सावध रहित घर में रहे। बुलाने पर अपने सम्बन्धी के घर या अन्य के घर भोजन करे। ___ यह अनुमति विरक्त श्रावक चैत्यालयादि में रहता हुआ स्वाध्याय करते हुए अपना समय व्यतीत करता है तथा ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार का पालन करने के लिए उद्यत होता है। गुरुजन बन्धु-बान्धव और पुत्रादि से यथायोग्य पूछकर गृहत्याग कर देता है। 11. उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा उन-उन व्रतरूपी अस्त्रों के द्वारा पूरी तरह से छिन्न भिन्न किये जाने पर भी जिसका मोह रूपी महान् वीर किंचित् जीवित है, वह उत्कृष्ट अंतिम श्रावक अपने उद्देश्य से बने भोजन को भी छोड़ देना है।
SR No.538060
Book TitleAnekant 2007 Book 60 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2007
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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