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अनेकान्त 59/1-2
असेवनीय (अभक्ष) कहा जाता है तो फिर शक्ति वर्धक बादाम, काजू, मूंगफली आदि जो 10-12 घंटे में पचते हैं वह भी अभक्ष्य हो जायेंगे। क्योंकि जो-जो पाचन संबंधी परेशानियां दूध के पाचन से आती हैं, उससे कहीं अधिक परेशानियां फेटयुक्त ड्रायफ्रूट्स में आती हैं। अतः ऐसा कुतर्क उचित नही है। ___ यदि किसी के बेटे ने जन्म से दूध नहीं पिया और वह स्वस्थ 6 फीट का है तो यह भी देखना चाहिए कि वह खाता क्या क्या है। क्या वह सब एक गरीब आदमी के बेटे को संभव है? जिस मॉ ने बचपन से दूध नहीं पिलाया हो तो बड़े होने पर वह पचता भी नहीं, एसीडिटी होती है और गैस आदि की अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, इसका मतलब यह नहीं कि सभी के लिए नहीं पचता और सभी के लिए अभक्ष्य हो। इसमें दूध का दोष नहीं बल्कि पीने वाले का दोष है।
मानव को दूध आवश्यक क्यों :
शिशु अवस्था में लेक्टेस एंजाइम का पर्याप्त मात्रा में स्राव होता है। वे ही एन्जाइम दूध को पचाते हैं, इसलिए बच्चों को वह पूर्ण आहार होता है, लेकिन जैसे-जैस उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैस लेक्टेस एन्जाइम के स्राव की मात्रा घटती जाती है। फिर भी निरंतर दूध पीने वालों को वह पचता रहता है। दुग्ध एक पूर्ण आहार है क्योंकि शरीर को पुष्ट और स्वस्थ रखने के लिए जितने प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्वों की आवश्यकता होती है, वे सभी दूध में पाये जाते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. ट्यूबर कहते हैं कि जों वयस्क आदतन दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन करते हैं, उनके लेक्टेस एंजाइम सक्रिय बने रहते हैं
और दूध पचता रहता है, परंतु जो बाल्यावस्था के बाद दूध का सेवन बंद कर देते हैं उनके लेक्टेस एंजाइम का संश्लेषण बंद हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों को डायरिया और पेट दर्द आदि बीमारी के लक्षण दूध