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अनेकान्त 59/1-2
दूध के संग्रह के लिए शरीर में ग्रंथियाँ होती हैं। उन दुग्ध ग्रंथियों और नलियों से लगी हुई झिल्लियों की दीवारों में बहुत सी रक्त शिराओं का जाल बिछा रहता है। उन्हीं शिराओं की दीवारों द्वारा जलीय अंश सोख लिया जाता है। वह वैसे ही सोख लिया जाता है जैसे कीचड़ से पेड़ की मूल शिरायें जलांश को सोख लिया करती हैं। इस प्रकार दूध एनीमल प्रोडक्ट होने मात्र से अपवित्र या अभक्ष्य नहीं हो जाता बल्कि वह शाकाहारवत् शुद्ध रसाहार के रूप में ग्राह्य है।
सभी प्राणियों को दूध अनुकूल : ___ यह सत्य है कि जैनेटिक ब्लूप्रिंट के अनुसार अपनी-अपनी प्रजाति की माँ का दूध सर्वोत्तम होता है। इसलिए गाय का बछड़ा गाय का दूध, बकरी का मेंमना बकरी का दूध, बिल्ली का बच्चा बिल्ली का दूध
और शेरनी का बच्चा शेरनी का दूध पीता है। इस प्रकार सभी स्तन धारी प्राणियों की माँ अपने बच्चों के पोषण और विकास के लिए दूध देती हैं। परंतु स्त्री, घोड़ी, बकरी, कुत्ती, बिल्ली और शेरनी आदि न हों तो उनसे जन्में शिशु जो गाय के दूध से पाले जाते रहे हैं और आगे भी पाले जाते रहेंगे, यह सारी दुनिया जानती है। क्योंकि गाय का दूध सभी प्राणियों को अनुकूल पड़ता है और पर्याप्त मात्रा में प्राप्त किया जा सकता है उसके आलावा अन्य प्राणियों का दूध प्रतिकूल और अपर्याप्त होने से सेवन नहीं किया जाता।
दूध माँ का हो या गाय का उसके सेवन करने की एक निश्चित मात्रा होती है। यदि मात्रा से अधिक ग्रहण किया जायेगा तो लाभ की जगह हानि पहुंचाएगा। दूध ही क्यों अन्न, काजू, किसमिस, बादाम आम, केला गेहूँ, चना और गुड़, तैल आदि पौष्टिक पदार्थों का मात्रा से अधिक सेवन लाभ की जगह हानि ही पहँचाएगा। इसलिए “हितमित भुख" अर्थात थोड़ा और हितकारी भोजन करने को कहा है।
यदि दूध 6 से 8 घंटे में पचता है, ऐसा तर्क देकर दूध को