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अनेकान्त 59/1-2 दूध दर्द नहीं दवा है :
एक आलेख में पढ़ा था कि दूध तरल मांस है और उसके सेवन से एसिडिटी, कैल्शियम की कमी, कैंसर और गुर्दे खराब होते हैं। ऐसा कहना सरासर गलत है क्योंकि दूध से एसिडिटी नहीं होती, बल्कि दूध से ऐसिडिटी कम होती है। इसको कोई भी व्यक्ति अपने ऊपर प्रयोग करके देख सकता है, जिसे एसिडिटी के कारण खट्टी डकारें, पेट में जलन आदि हो रही हो वह दूध में आधा या एक चौथाई पानी और मीठा मिलाकर, उसे अच्छी तरह से उबालकर फिर ठण्डा करके पिये तो ऐसिडिटी, मुँह और पेट के छाले समाप्त हो जाते हैं।
दूध अम्लीय होता है परंतु जब वह पेट में जाता है तब पाचक रसों के मिश्रण से दही बनकर उदासीन हो जाता है, वह हड्डियों में कैल्शियम का क्षय करके उदासीन नहीं होता। अतः शरीर की हड्डियों से कैल्शियम के क्षरण द्वारा दूध का उदासीन मानना गलत है। इस प्रकार दूध से हड्डियाँ कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होती हैं, यह अनुभव मैंने स्वयं किया है।
सन 1987 में मुझे सफेद पेचिस पड़ने लगी थी, डॉक्टर की सलाह से दूध का सेवन प्रायः बंद कर दिया था। परिणाम स्वरूप रीढ़ की हड्डियाँ (कशेरूकाएं) कमजोर पड़ गईं, उनका क्षरण होने लगा। ब्लड सीरम में कैल्शियम की मात्रा 11% की जगह घटकर मात्र 6-7% रह गई। मैंने पुनः दूध पीना शुरू कर दिया तो एक वर्ष में सब ठीक हो गया। इस बीच मैंने यह जरूर देखा कि दूध के साथ दालों का प्रयोग करने से पाचन बिगड़ता है क्योंकि दूध और दाल दोनों के प्रोटीन भोजन में एक साथ लेने से डाइजेस्ट नहीं हो पाते। अतः दूध और दालों के सेवन में लगभग 5-6 घंटे का अंतर होना चाहिए।
जव पाचन तंत्र कमजोर हो और आवश्यकता से अधिक दूध, घी, तेल, मिर्च, मसाला और दालों का सेवन किया जाता है तब उन्हें पचाने के लिए पाचन तंत्र और यकृत को अधिक कार्य करना पड़ता है, जो हड्डी, यकृत और पाचनतंत्र आदि के लिए हानि पहुँचाता है, परंतु