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अनेकान्त 59/1-2
संतुलित मात्रा में यथाविधि ग्रहण किये गये दूध में उपस्थित प्रोटीन और खनिज - कमजोरी, थकान, तनाव, और कैल्शियम आदि की कमी को दूर करते हैं । इसलिए दूध से नहीं बल्कि मिर्च मसाला, मांस, मदिरा आदि और प्रकृति विरुद्ध या अधिक मात्रा में भोजन करने से पाचन तंत्र और गुर्दे आदि खराब होते हैं ।
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दूध के गुण :
दूध मधुर, स्निग्ध, रुचिकर, स्वादिष्ट और वातपित्त नाशक होता है। वीर्य, बुद्धि और कफ वर्धक होता है, शीतलता, ओज, स्फूर्ति और स्वास्थ्य प्रदायक होता है । माँ (स्त्री) और गाय का दूध गुण धर्म की दृष्टि से समान होता है । उसमें विटामिन ए और खनिज तत्व होते हैं जो रोगों से लड़ने की शक्ति (प्रतिरोधक क्षमता) प्रदान करते हैं और आँखों के तेज को बढ़ाते हैं ।
दूध रक्त नहीं शुद्ध रस है :
दूध रक्त नहीं है इसका सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रमाण तो यह है कि दूध में जो केसीन नामक प्रोटीन उपस्थित रहता है वह खून और मांस में नहीं पाया जाता है। रक्त कणिकायें (डब्लू. बी. सी., आर. बी. सी) एवं प्लेटलेट्स जो खून में पायी जाती हैं वे दूध में नहीं पायी जाती हैं। यह बात वैज्ञानिकों ने दूध में बेजोइक टेस्ट (परीक्षण) करके बतायी है । यह परीक्षण कोई भी पैथोलॉजी लेब में किसी भी डॉक्टर से कराकर देख सकता है । अतः दूध एनीमल प्रोडक्शन होने पर भी रक्त मांस से बिल्कुल भिन्न एक शुद्ध रस है ।
वैज्ञानिकों का यह भी एक सार्वभौमिक सिद्धांत है कि माँस में जंतु कोशिकायें और वनस्पतियों में पादप कोशिकायें होती हैं, जबकि दूध में पादप (वनस्पति) कोशिकाओं के समान ही वैसीलस कोशिकायें होती हैं I उन दोनों के मध्य दीवार, रिक्तिकायें, सेंट्रिकायें, लवक और पोषण विधि