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अनेकान्त 59 / 1-2
में दिखाये गये हैं बुद्ध महावीर के समकालीन थे अतः बुद्धकालीन मानचित्र महावीर कालीन मानना सर्वथा उचित है । फाहियान के यात्रा वृत्त से भी मानचित्र में दर्शाये नगरों की भौगोलिक स्थति पुष्टि होती है । इस प्रकार नालंदा - कुण्डलपुर मगध क्षेत्र में होने के कारण उसे किसी दूर की कल्पना से भी विदेह - देश स्थित नहीं माना जा सकता। यही दृष्टिकोण पं. प्रवर सुमेरु चन्द्र जी दिवाकर सा. का रहा है। प. जी सा. के निष्कर्षानुसार प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती जी एवं त्रिलोक शोध संस्थान सन 2001 तक वैशाली के निकट कुण्डपुर को भ. महावीर की जन्म स्थली मानते हैं । 21
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6. बिहार राज्य के पर्यटन विभाग ने सन 2003 में लघु पुस्तिका 'जैन सर्किट' प्रकाशित की है, जो सचित्र है । इस पुस्तिका में वासोकुण्ड - वैशाली को भ. महावीर की जन्म भूमि तथा नालंदा - कुण्डलपुर को भ. महावीर के प्रथम पट्ट शिष्य गौतम गणधर की जन्म भूमि होना दर्शाया है । यह ध्यातव्य है कि बरगवों में गौतम गणधर के वंशज अभी भी विद्यमान हैं और पुत्रोत्सव के सौहर गीतों में गौतम का स्मरण किया जाता है ।
7. जैन इतिहासकार डॉ. ज्योति प्रसाद जैन द्वारा 50 वर्ष पूर्व भारतीय इतिहास का जैनयुग आलेख / पुस्तिका लिखी थी। उसमें आपने वज्जी संघ के अर्न्तगत कुण्डलपुर स्थित होना मान्य किया है । कुण्डलपुर के ज्ञातृवंशी लिच्छवि- नरेश सिद्धार्थ के पुत्र (भगवान्) महावीर थे । वैशाली के राजा चेटक उनके नाना थे 123
उक्त परिप्रेक्ष्य में पं. प्रवर श्री दिवाकर जी की दृष्टि में भ. महावीर का जन्म विदेह देश स्थित कुण्डपुर नगर (वासोकुण्ड) में हुआ था । विद्यमान नालंदा-बड़गांव उदात्त आगमिक एवं भौगोलिक दृष्टि से विदेह देश में स्थित होना सिद्ध नहीं होता, भले ही उसकी सिद्धि हेतु कूट लेखन का आश्रय लें या विदेह को सम्पूर्ण बिहार राज्य मानें या फिर नालंदा को गंगा नदी के उत्तर में दिखाकर उसे विदेह में स्थित होना सिद्ध करें । प्रायोजित बौद्धिक कसरत से आगम वर्णित भौगोलिक स्थिति बदली नहीं