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अनेकान्त 59/1-2
4. अन्य पुष्ट कारण साक्ष्य/संदर्भ : नालंदा से 7 मील की दरी पर स्थित राजगृही मगध की राजधानी थी। मगध देश का विस्तार 833 वर्ग मील का। नालंदा उसका अंग था। नालंदा प्रथम शताब्दि से 13 वीं शताब्दि तक बौद्ध-विद्या का महान केन्द्र रहा जहाँ हुआन-सांग (सातवीं शताब्दि) ने विद्याध्ययन किया। चीनी यात्री हुआन सांग और फाहियान (5 वीं शताब्दि) के यात्रावृत्त और उनका भौगोलिक विवरण अकाट्य/ यथा-स्थान स्थिति है। इसका विवरण जनरल कनिंघम कृत 'दों एन्सियेन्ट ज्योग्राफी ऑफ इंडिया' में दिया है, जो मूलतः पठनीय है।17 श्री नन्दलाल दे के अनुसार वरगांव का प्राचीन नाम बिहार ग्राम था।18 डॉ. होर्नले ने यह सिद्ध किया कि भ्रमवश जैन समाज द्वारा बरगांव को कुण्डलपुर मानकर उसे महावीर की जन्मभूमि मान लिया गया; उसी प्रकार हिन्दुओं द्वारा उसे कुण्डिनापुर मानकर रुक्मणी की जन्मभूमि माना जाता रहा। यह दोनों मान्यताएँ भ्रम आधारित हैं। यथार्थ तथ्यों से उसकी पुष्टि नहीं होती।
5. इतिहासमनीषी डॉ. राधाकमद मुखर्जी का इतिहास के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान है और वे एक प्रमाण के रूप में मान्य किये जाते है। आपकी अमर कृति 'हिन्दु सिविलाइजेसन्स' है जो सन 1936 में लोंगमेन ग्रीन एण्ड के. लंदन द्वारा प्रकाशित की गयी है। इसके संदर्भ प्रामाणिक माने जाते हैं। इस कृति के अध्याय सात में ईसा पूर्व 650-325 का उत्तर भारत काल के इतिहास का विस्तृत ससंदर्भ विवरण दिया है। इसमें बुद्ध के पूर्व के निम्न सोलह राज्य का वर्णन किया है____ अंग, मगध, काशी, कौशल, वज्जी, मल्ल, चेदी, विंसा (वत्स), कुरू, पंचाल, मच्छ (मत्स्य), सूरसेन, अस्क, अवंती, गांधार एवं कम्भोज!20
इन राज्यों का वर्णन तो हुआ है साथ ही उस समय की सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक व्यवस्था का वर्णन भी किया है जो मूलतः पठनीय है। पुस्तक में पृष्ठ 179 के वाद बुद्धकालीन मानचित्र भी दिया है। इसके अनुसार राजगृह नालंदा, चंपा और पाटलीग्राम गंगा नदी के दक्षिण में है और वैशाली लिच्छवी मल्ल, पावा आदि गंगा नदी के उत्तर