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अनेकान्त 59/1-2 तथा लोकगीतों में महावीर की विद्यमानता आदि के परिप्रेक्ष्य में दिगम्बर जैन आगम के अनुरूप जन्मभूमि सिद्ध है। यहाँ पर प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी ने दिनांक 23/4/56 को भ. महावीर जन्मभूमि स्मारक-पट्ट का अनावरण किया।
कुण्डपुर (वासोकुण्ड) समर्थक पं. जी के अन्य संदर्भः
1. "भगवान महावीर और उनका तत्त्वदर्शन' सन 1974 में पूज्य आचार्य देश भूषण जी मुनिराज के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से यह बृहत्काय ग्रंथ दिल्ली से प्रकाशित हुआ। इसकी प्रस्तावना4 पं. श्री दिवाकर जी ने लिखी। ग्रंथ की सम्पूर्ण सामग्री भ. महावीर को समर्पित है। इसमें उनकी जन्मभूमि वासोकुण्ड निर्विवाद रूप से वर्णित है। यदि श्री दिवाकर जी को यह इष्ट नहीं होता तो वे इसकी भूमिका लिखने से इन्कार कर देते या वे इसके विरोध में अपना मत अवश्य व्यक्त करते।
2. 'चारित्र चक्रवर्ती' आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज के मंगलमय जीवन चरित्र का विस्तृत वर्णन, तिथिवार श्री पं. दिवाकर जी द्वारा चारित्र चक्रवती (1953) पुस्तक में किया गया। आचार्य श्री का संघ शिखरजी से भागलपुर होता हुआ राजगृही पहुँचा। वहाँ से पावापुरी, गुणावा, गया होकर कटनी पहुंचा। 5 इस यात्रा में कुण्डलपुर-नालंदा का नाम नहीं है। यदि इसे महावीर जन्म भूमि के रूप में मान्यता होती तो आचार्य संघ की यात्रा में उसका अवश्य उल्लेख होता। ___3. श्री दिवाकर जी कृत 'जैन शासन' के पृष्ठ 253 में सं. 1867 (ई. 1810) में मैनपुरी के साहू धनसिंह जी के नेतृत्व में 250 बैल गाड़ियों में एक हजार यात्रियों के संघ की सम्मेद शिखर जी की यात्रा का उल्लेख है। यह संघ पावापुरी, राजगृही, गुणावा आदि स्थानों पर गया। किन्तु इस यात्रा में कुण्डलपुर-नालंदा का उल्लेख नहीं है। इससे स्पष्ट है कि कुण्डलपुर-नालंदा मगध क्षेत्र में तो है ही, आरोपित रूप से जन्म स्थली के रूप में बहुत पुराना नहीं है।