SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त 59 / 3-4 एक अत्युत्तम प्रभाव की सृष्टि करती हैं। भारत में वस्तुतः इस प्रकार का कोई अन्य मंदिर या भवन नहीं हैं। जिसके अंतर्भाग में स्तंभों का इतना लावण्यपूर्ण संयोजन रहा हो और उसकी संरचना कुल मिलाकर इस मंदिर की भाँति प्राभावोत्पादक रही हो।17 इस मंदिर के स्तंभ भी अभिकल्पनाओं की विविधता के लिए अद्भुत हैं। क्योंकि मंदिर के 420 स्तंभों में से किसी भी स्तंभ की अभिकल्पना एक दूसरे के समरूप नहीं है, मानव आकृतियों के अंकन की अपेक्षा मूर्तिकारों ने देव-प्रतिमाओं के अंकन में निस्संदेह धर्म ग्रंथों एवं शिल्प कला संबंधी ग्रंथों का अध्ययन कर उनके निर्देशन का परिपालन किया है, तभी वे इन देव प्रतिमाओं द्वारा तत्कालीन धार्मिक माँगों को पूरा कर सके हैं। 44 संदर्भ सूची 1. जैन. के. सी. जैनिज्म इन राजस्थान शोलापुर, 1963, पृ. 112, 2. हाण्डा, देवेन्द्र, ओसियां, हिस्ट, आर्केलोजी आर्ट एण्ड आर्कीटेक्चर दिल्ली, 1984, पृ. 47, 3. शाह, अम्बालाल प्रेमचन्द, जैन तीर्थ सर्व संग्रह भाग - 1 ( गुजराती, 1953 ) पृ. 1.73, 4. भाण्डाकर, डी.आर, 'एनवल रिपोर्ट ऑफ दी आर्केलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया' 1908 कलकत्ता, 1912, पृ. 108, 5. ब्राउन, पर्सी, इण्डियन आर्किटेक्चर (बुद्धिस्ट एण्ड हिन्दू पीरियड) दूसरा संस्करण, पृच 140, 6. नानावती जे. एम. और ढाकी, एम.ए.- द सीलिंग्स इन द टेम्पल्स ऑफ गुजरात, बुलेटिन ऑफ द म्युजियम एण्ड पिक्चर गैलेरी, बड़ौदा, भाग XVIXVII पृ. 45, 7. वही, 8. ढाकी., एम. ए., सम अर्ली जैन इन वेस्टर्न इन्डिया, महावीर जैन विद्यालय गोल्डन जुबली वाल्यूम खण्ड-1, बमबई 1968 पृ. 332, 9. घोष, अमलानन्द, जैन कला एवं स्थापत्य खण्ड-2 नई दिल्ली, 1975, पृ. 252, 10. वही, पृ. 304, 11. विजय, जयन्त, आबू (प्रथम भाग), सिराही 1933 12. वही, पृ. 154-56 13. वही, पृ. 166, 14. ढाकी, एम. ए., रिनेसॉस एण्ड द लेट मारु ग्रर्जर टेम्पल आर्किटेक्चर जर्नल ऑफ द सोसायटी ऑफ ओरियण्टल आर्ट स्पेशल नम्बर 1965-66, कलकत्ता, पृ. 8, 15. ब्राउन, पर्सी, इण्डियन आर्किटेक्चर (बुद्धिस्ट एण्ड हिन्दू) बम्बई, 1957, पृ. 123, 16. गाऐज हरमन, दि आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर ऑफ बीकानेर ऑक्सफोर्ड, 1950, पृ. 59, 17. फर्ग्यूसन, जेम्स, हिस्ट्री ऑफ इण्डियन एण्ड ईस्टर्न आर्कीटेक्चर, पुनर्मुद्रित, दिल्ली 1967 पृ. 60 1 - असो. प्रोफे. चित्रकला विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर
SR No.538059
Book TitleAnekant 2006 Book 59 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2006
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy