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अनेकान्त 59/3-4
न्यायसूत्र, न्यायभा न्यायवा.आदि सस्कृत ग्रन्थमाला कलकत्ता 1936 पृ. 38,52, 15 भारतीय दर्शन, सं. डॉ. न.कि देवराज, उत्तर प्रदेश हिन्दी सस्थान लखनऊ द्वि.सं. 1978, पृ 260, 16. सर्वार्थसिद्धि, पूज्यपाद, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, सन् 1935, 1.10, 17. आ मी कारिका 101, 18. समन्तभद्र ग्रन्थावली, अकलंककृत, आप्तमीमांसाभाष्य एव प जुगलकिशोर मुख्तार के हिन्दी अनुवाद सहित, सकलन, डॉ गोकुलचन्द्र जैन, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, बीना 1989, स्वय. 63, 19. वही, 101, 20. वही, युक्त्यनुशासन 6, 21 न्यायावतार, सिद्धसेन, परम श्रुत प्रभावक मडल बम्बई सन् 1950, 1, 22. आ. मी भाष्य, 36, 23 लघीयस्त्रय, का. 60, 24. वही, 101, 25. परीक्षामुख,11, 26. प्रमाणपरीक्षा, विद्यानन्द, डॉ. द. ला. कोठिया, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, वाराणसी, 1977 पृ 5, 27. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकम् मनोहरलाल निर्णय सागर प्रेस, बम्बई 1918, 1 10 77,78, 28 प्रमाणमीमांसा, हेमचन्द्र, सं. सुखलाल संधवी जैन ग्रन्थ. अहमदाबाद 1939, 1.1.2, 29. न्यायदीपिका, धर्मभूषणयति, वीर सेवा मन्दिर, सरसावा, 1945 पं. 9, 30 प्रमाणसमुच्चयवृत्ति सहित, मैसूर विश्वविद्यालय, पृ. 11, 31. प्रमाणवार्तिकम्, 13, 32 तत्त्वसग्रह पंजिका. पृ 319, 33 अप्टसहस्री, विद्यानन्द, अकलूज, सोलापुर, 1915, पृ. 276, 34. वैशेषिकसूत्र, 9.2.12, 35. वहीं, 36. न्यायभाष्य पृ. 91, 37. सांख्यतत्त्वकोमुदी, पृ. 216, 38. योगसूत्र,1.5, 39. प्रकरणपंजिका का. हि. वि. वि. काशी, 1961, पृ. 104,40. मीमासासूत्र, 1.1.5 एवं श्लोकवार्तिकम् चो. सूत्र श्लोक 80, 41. वेदान्तपरिभापा. पृ. 16, 42. आ. मी 105, 43. आ. मी. वृत्ति, 44. आ. मी. 5, 45. स्वय. 138 आदि तुलनीय आ. मी. 5,7,24 एव 26 युक्त. 22, 33, 38 आदि, 46. न्यायावतार, 4, 47 वही, 48. लद्यीयस्त्रय 4, 49. वही, वृत्ति 4, 50. तत्त्वार्थवार्तिकम् 1.20, 51. देखे, भाषा टिप्पण प्रमाणमीमांसा, 52. आ. मी का. 102, 53 भाष्य 102 एव अ. स. 102, 54 प्र. प. पृ. 66, 55. जैनधर्म और दर्शन, मुनि श्री प्रमाणसागर, प्रकाशक, पारस होम्स 22, अहिंसा, पुराना कबाड़खाना, जुमराती, भोपाल, छ. सं. 2000, 56 समन्तभद्र अवदान, डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन, प्रकाशक, स्याद्वाद प्रसारिणी सभा, चैतन्य निलय 3/359 न्यू विद्याधर नगर, जयपुर, राजस्थान, प्र. सं. 2001 ।
-III बी 25, नेहरुनगर
गाजियाबाद (उ.प्र)