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________________ अनेकान्त-58/1-2 25 सुदृढ़ कर्म को भी नष्ट कर देता है। मुनियों को नमस्कार करने से उच्चगोत्त, आहारादि दान देने से भोग, उपासना से सम्मान, भक्ति से सुन्दर रूप और स्तुति से यश की प्राप्ति होती है। उचित समय में योग्य पात्र को दिया गया थोड़ा भी दान पृथिवी में पड़े हुये वट-वृक्ष के बीज के समान समय आने पर अभीष्ट फल को देने वाला होता है। आहार, औपधि, उपकरण और आवास के भेद से वैयावृत्य चार प्रकार का है। श्रावक के लिये प्रतिदिन अर्हन्त भगवान की पूजा भी करनी चाहिये। हरित पत्र आदि से देने योग्य वस्तु को ढकना, हरित पत्र आदि पर देने योग्य वस्तु को रखना, अनादर, अस्मरण और मात्सर्य- ये पाँच वैयावृत्य के अतिचार हैं। प्रतिकार रहित उपसर्ग, दुर्भिक्ष, बुढ़ापा और रोग के उपस्थित होने पर धर्म के लिये शरीर का त्याग करना सल्लेखना है। यतः अन्त समय की यह क्रिया तप का फल है, अतः सल्लेखना धारण करने वाले को चाहिये कि वह प्रीति, वैर, ममत्वभाव और परिग्रह को छोड़कर शुद्ध मन से प्रिय वचनों द्वारा अपने कुटुम्बी एवं अन्य मिलने-जुलने वालों से क्षमा कराकर स्वयं क्षमा करे तथा कृत, कारित और अनुमोदनापूर्वक सभी पापों की निश्छल भाव से आलोचना कर मरण पर्यन्त स्थिर रहने वाले महाव्रतों को धारण करे। साथ ही शोक, भय, खेद, स्नेह, कालुप्य और अप्रीति को त्यागकर धैर्य और उत्साह के साथ शास्त्ररूप अमृत से चित्त को प्रसन्न करे। फिर क्रमशः आहार छोड़कर दुग्धादि चिकने पदार्थो का सेवन करे, तदनन्तर दुग्धादि को छोड़कर स्निग्धता रहित छाँछ आदि पेयों का सेवन करे। पुनः उनका भी त्यागकर गर्म जल का सेवन करे और अन्त में जल का भी त्यागकर उपवास पूर्वक पञ्च नमस्कार मन्त्र का जाप करते हुये शरीर का विसर्जन करे। जीविताशंसा, मरणाशंसा, भय, मित्रस्मृति और निदान- ये पाँच सल्लेखना के अतिचार हैं। सल्लेखना धारण करने वाला क्षपक पूर्ण चारित्र की प्राप्ति होने पर उसी भव से अथवा कमी रहने पर परम्परा से मुक्ति को प्राप्त करता है। ___ श्रावक की ग्यारह प्रतिमायें कही गई हैं, जो क्रमशः वृद्धि को प्राप्त होती हैं। सम्यग्दर्शन से शुद्ध; संसार, शरीर और भोगों से उदासीन, पच परमेष्ठी
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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