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________________ अनेकान्त-58/1-2 नपुंसक, स्त्रीपने तथा खोटे कुल, विकलाङ्गता, अल्पायु और दरिद्रपने को प्राप्त नहीं होता है, अपितु ओजादि से सम्पन्न मनुष्यों में श्रेष्ठ होता है और स्वर्ग के इन्द्रादि पदों को प्राप्त करता है तथा नवनिधि और चौदह रत्नों के स्वामी चक्रवर्ती पद को प्राप्तकर अन्त में रत्नत्रय के फलस्वरूप सर्वोत्कृष्ट सुख के स्थान मोक्ष को भी प्राप्त करता है। __ पदार्थ को न्यूनता और अधिकता से रहित ज्यों का त्यों विपरीतता रहित और सन्देह रहित जानना सम्यग्ज्ञान है। यह सम्यग्ज्ञान विषय की अपेक्षा से प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग- इन चार अनुयोगों में विभक्त है। एक पुरुप के आश्रित होने वाली कथा चरित है और त्रेसठशलाका पुरुपों के आश्रित कही जाने वाली कथा पुराण है। इन पुण्यवर्द्धक कथाओं तथा बोधि और समाधि को प्राप्त कराने का खजाना जिसमें हो वह कथा साहित्य प्रथमानुयोग है। लोक और अलोक के विभाग, युगों के परिवर्तन और चतुर्गति के स्वरूप को दर्पण के समान प्रकाशित करने वाला साहित्य करणानुयोग है। गृहस्थ और मुनियों के चारित्र की उत्पत्ति, वृद्धि और रक्षा का विवेचन करने वाला साहित्य चरणानुयोग है तथा जीव, अजीव, पुण्य, पाप, बन्ध मोक्ष आदि का विवेचन करने वाला साहित्य द्रव्यानुयोग है। मोह रूपी अन्धकार के दूर होने पर सम्यग्दर्शन की प्राप्ति से जिसे सम्यग्ज्ञान प्राप्त हो गया है ऐसे भव्य जीव के द्वारा रागद्वेष की निवृत्ति के लिये धारण किया जाने वाला चारित्र है। यह हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह की निवृत्ति से होता है। सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग करना सकल चारित्र है और एकदेश परिग्रह का त्याग करना विकलचारित्र है, जो क्रमशः मुनियों और श्रावको को होता है। उनमें गृहस्थो के होने वाला विकलचारित्र अणुव्रत, गुणव्रत और शिक्षाव्रत रूप है। इनके क्रमशः पाँच, तीन और चार भेद हैं। हिंसादि पाँच पापों का स्थूल रूप से त्याग करना अणुव्रत है। तीनों योगों के कृत, कारित और अनुमोदन रूप संकल्प से त्रस जीवों की हिंसा न करना स्थूलहिंसा त्याग रूप अहिंसाणुव्रत है। छेदना, बाँधना, पीड़ा देना, अधिक भार लादना और आहार रोकना-ये पाँच इसके अतिचार हैं। इसी प्रकार स्थूल झूठ
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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