________________
अनेकान्त 58/3-4 12. विंध्यगिरी पर सुत्तालय के प्रवेश द्वार के बाई ओर बोप्पन पंडित द्वारा अंकित
12वीं शताब्दी के विस्तृत शिलालेख, क्रम संख्या 3361 13 "जैन शिलालेख संग्रह", I Nos 17-18 (31) pp 6-7 Intr p 2 14. Epigraphia Karnatica' Vol 2 (Indore) p 13 15. “Indian Historical Quaterly" IV, 2 pp. 270-286, JS B, IV. 2 pp. 102-109 16. श्री मदभागवत्, पञ्चम स्कन्ध, तृतीय अध्याय, 20वॉ श्लोक। 17. श्री मदभागवत, पञ्चम स्कन्ध, चतुर्थ अध्याय, 8, 9 श्लोक।
'अग्नि', 'मार्कण्डेय', ब्रह्माण्ड', 'नारद' आदि पुराण भी इस संबंध मे साक्ष्य है। 18. 'पद्म पुराण', 'हरिवंशपुराण', पउमचरिय' और श्वे. ग्रथो मे ऋषभदेव के पुत्रों की
संख्या 100 संख्या लिखी है, किंतु 'महापुराण' मे 101 पुत्र बताये गए है। 19. गुणभद्र “उत्तर पुराण" 35ए 28-36। देखे वादिराज “पार्श्वनाथ चरित्र” 9.
37-28, 2-65 20. सुत्तनिपात, 977 21. पाणिनी, “अष्टाध्यायी", 1-373 22. 'पउमचरिय', 4. 43 23. 'आवश्यक चूर्णी', पृ. 210 24. 'महापुराण', 3-34, 204 25. 'आवश्यक भाष्य', गाथा 32 26. 'पउमचरिय', 4-47 27. पउमचरिय व पद्ममपुराण। 28. जिनसेनाचार्य, “महापुराण", पर्व 36 श्लोक 104 29. जिनसेनाचार्य, “महापुराण”, पर्व 36 श्लोक 106 30. जिनसेनाचार्य 'महापुराण', पर्व 36 श्लोक 184-188 31. 'आवश्यक चूर्णी', पुष्ठ 210; (स) वासुदेवा हिन्दी पृष्ठ 186 32. हेमचन्द्राचार्य, “त्रिषष्टिश्लाका पुरुष” 33. संघदास गणी वसुदेव हिन्डी, पृष्ठ 187-88 (प्राकृत) 34. जिनसेनाचार्य, “महापुराण", 36. 152-154 35. रविषेणाचार्य , “पद्मपुराण", 4. 75-76