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________________ अनेकान्त-58/1-2 2. देव भरत क्षेत्र में आचार्य कुन्दकुन्द को लेने आये। 3. आचार्य कुन्दकुन्द को विमान में बैठाकर ले गए। 4. उनकी पीछी गिर गई और गिद्ध का पंख ले लिया। 5. वे एक शास्त्र लाए जो कि आते समय लवण समुद्र में गिर गया। उक्त सब बातें आगम से कहाँ मेल खाती हैं? शिलालेख भी कब किस आगम के अनुसार लिखे गए आदि। जब हम उक्त कथनों पर विचार करते हैं तो निम्नलिखित वाधायें खड़ी हो जाती हैं1. क्या दिव्यध्वनि में व्यक्तिगत आशीर्वाद, नाम कथन और प्रश्न के उत्तर देने का कहीं विधान है? जबकि दिव्यध्वनि में तत्त्वार्थ का विधान होने का कथन है। तथाहि तस्स मुहग्गदवयणं, पुव्वारदोसविरहियं सुद्धं । आगमिदि परिकहियं, तेण दु कहिया हवंति तच्चत्था।। -नियमसार, आचार्य कुन्दकुन्द 2. देव इस पंचम काल में भरत क्षेत्र में कैसे आ गए? जवकि आगम में विधान है कि वे यहाँ नहीं आ सकते। तथाहि“अत्तो चारण मुणिणो, देवा विज्जाहरा य णायान्ति।" -तिलोयपण्णत्ति (विशुद्धमति) अर्थात् इस पंचम काल में यहाँ चारणऋद्धिधारी मुनि, देव और विद्याधर नहीं आते। परमात्म प्रकाश तथा भद्रवाहु चरित से भी इसी अर्थ की पुष्टि होती है। हमें किसी आगम में यह देखने को भी नहीं मिला की पंचम काल के प्रारम्भ में यह विधान लागू नहीं होता। यदि आगम में इसका कहीं उल्लेख है तो देखा जाए। 3. .क्या हमारे मूल आचार्य कुन्दकुन्दस्वामी या अन्य कोई दिगम्बर मुनि विमान या किसी सवारी में बैठकर गमनागमन कर सकते हैं? दिगम्बर मुनि के विमान में बैठने की बात कहाँ तक सत्य है? किसी आगम ग्रंथ
SR No.538058
Book TitleAnekant 2005 Book 58 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2005
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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