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________________ अनेकान्त-57/1-2 आत्मानुभव हेतु श्रुताभ्यास एवं उत्कृष्ट आत्म भावना इष्ट है। आत्मोपलब्धि की आगम पद्धतिः- आगम के अनुसार आत्मानुभूति एवं सम्यग्दर्शन तत्त्वविचार वाले जीव को होता है। इससे ज्ञानावरण, मिथ्यात्व आदि कर्म का अनुभाग हीन होता है। जहाँ मिथ्यात्व कर्म का उदय न हो वहीं सम्यक्त्व हो जाता है। इस प्रकार तत्त्वविचार वाले को सम्यक्त्व हो ही हो, ऐसा नियम नहीं है, क्योंकि शास्त्रानुसार सम्यक्त्व पंचलब्धि पूर्वक होता है। लब्धि का अर्थ प्राप्ति या लाभ है। लब्धिसार के अनुसार दर्शन और चारित्र की प्राप्ति होना लब्धि है। क्षयोपशम विशेष को लब्धि कहते हैं या उसके निमित्त से आत्मा में ज्ञान के उघाडरूप शक्ति को लब्धि कहते हैं। 'लब्धि उपयोगो भावेन्द्रियम्' के अनुसार भावेन्द्रिय लब्धि और उपयोग रूप होती है। विशिष्ट तप से प्राप्त ऋद्धियों को भी लब्धि कहते हैं। पांच लब्धियाँ और नौ क्षायिक लब्धियाँ भी होती हैं। प्रथमोपशम सम्यक्त्व के पूर्व पाँच लब्धियाँ नियम से होती हैं। वे हैं1. क्षयोपशम लब्धि, 2. विशुद्धिलब्धि, 3. देशनालब्धि, 4. प्रायोग्य लब्धि 5. करण लब्धि। इनमें प्रथम चार लब्धियां भव्य और अभव्य दोनों जीवों को होती है। करण लब्धि भव्य जीव को ही होती है। उसके होने पर सम्यग्दर्शन नियम से प्रकट होता है। प्रथम चार लब्धियों का पृथक-पृथक प्रत्येक का और समूह में चारों का काल एक अंतर्मुहूर्त होता है। करण लब्धि के तीनों करणों-अधःकरण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण का काल भी अपना अपना एक-एक अंतर्मुहूर्त होता है। अनिवृत्तिकरण का काल सब से अल्प है, अपूर्वकरण का उससे संख्यातगुणा बड़ा और अधःकरण का काल उससे, अपूर्वकरण का उससे संख्यातगुणा बड़ा और अधःकरण का काल उससे भी संख्यातगुणा बड़ा है। उत्पत्ति की अपेक्षा प्रथम तीन लब्धियाँ युगपत एक साथ होती हैं। प्रथम चार निमित्त परक हैं अंतिम करण लब्धि उपादान परक है। (1) क्षयोपशम लब्धि :- ज्ञान के उघाड़ को क्षयोपशम ज्ञान कहते हैं। इससे तत्त्वार्थ ग्रहण करने की ज्ञानगुण की शक्ति प्रकट होती है। विशुद्ध परिणामों एवं तत्त्व-विचार से ज्ञानावरणादिक समस्त अप्रशस्त कर्म प्रकृतियों के अनुभागी
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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