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________________ 124 अनेकान्त-57/3-4 में शाश्वत रहता है, इसी कारण वस्तु को ध्रौव्य कहा जाता है और दूसरा अंश सदा परिवर्तित होता है जिसके कारण वस्तु को उत्पाद-व्यय युक्त कहा जाता है। दोनों अंशों पर दृष्टि डालने से ही वस्तु का पूर्ण और यथार्थ स्वरूप ज्ञात हो सकता है, दोनों दृष्टियों से समन्वित स्वरूप ही सत् है। आचार्य गुणभद्र स्वामी ने वस्तु के अनेकान्तिक स्वरूप को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि "शास्त्राभ्यास करने वाले ज्ञानी अनादि निधन समस्त जीवादि वस्तुओं के बारे में चिन्तवन करते है वस्तु विवक्षित स्वरूप को तथा उससे प्रतिपक्षी स्वरूप को प्राप्त होने पर भी नष्ट नहीं होती है। दूसरे शब्दों में आचार्य की बात को इस प्रकार कह सकते है कि शास्त्राभ्यास करने वाले ज्ञानी केवल शब्दों और अंलकारों में ही मन को नहीं रमाते, वे वस्तु स्वरूप का चिन्तन करते हैं कि जीवादि वस्तुएं नित्य भी हैं, अनित्य भी हैं सत्तारुप भी हैं असत्तारुप भी हैं, एक भी है अनेक भी है, तत् स्वरूप भी है, अतत् स्वरुप भी है। इस प्रकार परस्पर विरुद्ध धर्मस्वरुप जीवादि वस्तुएं कभी नष्ट नहीं होती सदा अपने स्वभाव रूप रहती हैं। अनादि निधन समस्त जीवादि पदार्थो का यही स्वरूप है। तत्त्वज्ञानी जीव शास्त्र द्वारा इस प्रकार चिन्तवन करते हैं। ऐसे चिन्तवन से उन्हें वस्तु स्वरूप भासित होता है जिससे सम्यग्दर्शन आदि प्राप्त करके वे अपना कल्याण कर लेते हैं। एक ही वस्तु एक ही समय में ध्रौव्य उत्पाद-व्यय इन तीनों स्वरूप है- आचार्य गुणभद्र स्वामी ने एक वस्तु में एक ही समय में धौव्य, उत्पाद, व्यय तीनों का एक साथ उपस्थिति का ज्ञान कराते हुए कहा है कि एक ही वस्तु एक ही समय में ध्रौव्य, उत्पाद, व्यय इन तीनों स्वरूप है, अन्यथा प्रमाण से अबाधित वस्तु में "यह वही है" ऐसी प्रतीति और 'यह अन्य है' ऐसी प्रतीति सिद्ध नहीं होगी। यदि एक ही अपेक्षा से वस्तु को तद्प भी कहा जाए और अतद्प भी कहा जाय तो भ्रम ही है, परन्तु यदि अन्य अपेक्षा से कहा जाय तो विरोध नही है, जैसे किसी पुरुष को एक ही व्यक्ति का पिता भी कहा जाय और पुत्र भी कहा जाय तो भ्रम ही है। परन्तु यदि उसे किसी व्यक्ति का पिता और किसी
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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