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________________ अनेकान्त-57/3-4 125 अन्य व्यक्ति का पुत्र कहा जाय तो विरोध नहीं है, अपितु वस्तु स्वरूप की सिद्धि ही है। एक ही वस्तु नित्य भी है और अनित्य भी है। जैसे-कोई व्यक्ति पहले रंक था फिर राजा हो गया, वहां उसकी अवस्था पलटने की अपेक्षा उसमें अन्यत्व भासित होता है, इसलिए “यह अन्य है" ऐसा माना जाता है। परन्तु मनुष्यपने की अपेक्षा पहले भी मनुष्य था और अब भी वही मनुष्य है- ऐसा भासित होता है, इसलिए 'यह वही है' ऐसा माना जाता है। ऐसी प्रतीति प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से बधित नहीं है, वस्तु स्वरूप 'ऐसा ही' भासित होता है इसलिए वही पुरुष एक समय में उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य स्वरूप को धारण करता है। जिस समय वह रंक से राजा हुआ, उसी समय राजापने का उत्पाद है, रंकपने का व्यय है और मनुष्यपना ध्रुव है। वस्तु का स्वरूप सर्वथा एक नहीं हैं-अनेक अपेक्षाओं से अनेक स्वरूप है- वस्तु का स्वरूप सर्वथा एक न होकर अनेक अपेक्षाओं से अनेक स्वरूप है। सांख्य, नैयायिक, आदि मत वालों ने वस्तु को सर्वथा नित्य ही माना है, जबकि बौद्धमती सर्वथा क्षणिक ही मानते हैं। ज्ञानाद्वैत वादी बौद्धमती मात्र ज्ञान का ही अस्तित्व मानते हैं, बाह्य वस्तुए है ही नहीं, ऐसा मानते हैं। शून्यवादी बौद्धमती सभी वस्तुओं का अभाव मानते हैं। इस प्रकार अनेक लोग वस्तु को एकान्त रूप मानते हैं, परन्तु वस्तु स्वरूप ऐसा नहीं हैं, क्योंकि विचार करने पर ऐसे एकान्त में विरोध भासित होता है। ___ एक ही वस्तु में अवस्था बदले बिना अर्थ-क्रिया की सिद्धि नहीं होती. इसलिए वह सर्वथा नित्य कैसे हो सकती है? और अन्य-अन्य अवस्थाएं होने पर भी किसी भाव की नित्यता की अपेक्षा वस्तु सदैव एक रूप भासित होती है, इसलिए उसे सर्वथा क्षणिक कैसे माना जा सकता है? इसी प्रकार ज्ञान का अस्तित्व भी भासित होता है और बाह्य पदार्थो का अस्तित्व भी भासित होता है। यदि बाह्य पदार्थो की सत्ता न मानी जाय तो प्रमाण और अप्रमाण ज्ञान का विभाग नहीं हो सकता, इसलिए सर्वथा ज्ञान की ही सत्ता नहीं है। पदार्थो का अस्तित्व तो प्रत्यक्ष भासित होता है। यदि उनका अभाव मानें तो अभाव का प्रतिपादन करने वाले भी शब्दरूप पदार्थ हैं, अतः उनका भी अभाव रहेगा
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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