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________________ मकान्त-57/3-4 99 निषेध की नीति में जो शाहदयाल मंत्री का आदेश निकला था उसमें लिखा था कि : (1) प्राचीनकाल से जैनियों के मन्दिर और पूजा के स्थानो को अधिकार मिला हुआ कोई मनुष्य उनकी सीमा (हद) में जीववध न करे यह उनका पुराना हक है 1 अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर के समय गौहत्या करने वालो को प्राण दण्ड देने की व्यवस्था थी । अंग्रेजो द्वारा प्रकाशित प्रेस लिस्ट तथा तारीखे अरूजे सल्तनते इंग्लिशिया नामक ग्रन्थ के पेज 688 पर स्पष्ट अंकित है कि सुप्रसिद्ध विद्वान् मौलाना फजले हक खैरावादी ने बहादुर शाह के प्रशासन के लिए जो संविधान तैयार किया था उसकी प्रथम धारा यह थी कि बादशाह के राज्य में कहीं भी गाय जिवाह न की जाये। उस समय प्रसिद्ध खवरनवीस जीवनलाल ने अपनी बहुचर्चित डायरी में दिनांक 28 जुलाई 1857 को उल्लेख किया कि बादशाह ने सेना के अधिकारियों के पास भी इस आशय के पत्र भेजे थे कि ईद के अवसर पर कोई गाय जिवाह न हो यदि किसी ने ऐसा किया तो तोप से उड़ा दिया जायेगा तथा गोवध के लिए प्रोत्साहित करने वाले को प्राण दण्ड दिया जावेगा । सेनापति के आदेश से शहर कोतवाल द्वारा शहर में ढिंढोरा पिटवा दिया था कि कोई भी गाय की हत्या नहीं करेगा। शहर की नाकबन्दी की गई। बकरा ईद के तीन दिन तक शहर में गाय-बैल बेचने के लिए न लाये जायें। जो गाय को छिपाकर वध करेगा उसे मौत की सजा दी जावेगी। जिनके घर गाय है उनसे मुचलके ले लिए जाए कि वे गायो का वध नहीं करेंगे। इसकी जाँच भी की जावे । गाय न मिलने पर व्यक्ति को मृत्यु दण्ड दिया जावे। प्रेस लिस्ट ऑफ म्युनिटी पेयर्स 61 संख्या 245 पर अंकित था वर्तमान में 1938 में निजाम हैदराबाद ने अपने राज्य में गाय व ऊँट की कुर्बानी करना कानूनन बन्द कर दिया था। सन् 1890 में माननीय मिस्टर हचिनसन ने भारतीय कौसिंल में पशु निर्दयता निवारण बिल पेश किया था । सितम्बर 1938 में भारत की लेजिसलेटिव असेम्बली ने पशु निर्दयता कानून में
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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