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________________ 98 अनेकान्त-57/3-4 के लिए एक दिन उन्होंने एक गाय को लाकर खड़ा कर दिया था और सम्राट की फरियाद स्थल पर प्रस्तुत की। नरहरि कवि की वाणी में गाय की पीडा के भाव थे। जिसे सुनकर अकबर का हृदय पसीज गया उसने तुरन्त ही देशव्यापी गोवध निषेध की आज्ञा प्रसारित कर दी और गौ-हत्या करने वालों को मृत्युदण्ड देने की घोषणा कर दी। अबुलफजल ने आइने अकबरी नामक पुस्तक के भाग 1 पृष्ठ 193 पर इसका स्पष्ट उल्लेख किया है। अकबर के बाद जहाँगीर व शाहजहाँ ने भी पशु हत्या निषेध की नीति को जारी रखा। खानदान मुगलिया के शहनशाह जहाँगीर का ईद के मौके पर शाही फरमान जारी किया। आज से 398 साल पूर्व 26 फरवीर सन् 1605 को जैनधर्म के माह भादो के बारे में फरमाने जहाँगीर जारी किया गया जिसकी असली नकल अन्त में दर्शायी गई है जहाँगीर ने अपने पिता की पशु-हत्या की नीति का अनुसरण किया। अपने आत्मचरित्र तुंजुके जहाँगीर के अनुसार उसने राज्यधिकार प्राप्त होते ही घोषणा कर दी थी। सप्ताह में एक दिन ऐसे होंगे जिनमें पशुवध का निषेध होगा। मेरे राज्यभिषेक के दिन गुरुवार को तथा रविवार को जन्मदिन के दिन कोई मांसाहार नहीं करेगा। मेरे पिता ने 11 वर्षों तक इस नियम का पालन किया अतः मैं भी जीव हिंसा निषेध की घोषणा करता हूँ। गुजरात में जैनो की प्रार्थना पर जीव हिंसा निषेध के कई फरमान जारी किये। जहांगीर के उत्तराधिकारी शाहजाहाँ के समय में भी पशुहिंसा निषेध की नीति का पालन होता था उसका एक उदाहरण इस बात को प्रमाणित करता है। शाहजाहाँ की इस निष्पक्ष नीति का पता पुर्तगाली यात्री वश्चियन मानदिक के एक विवरण से पता चलता है। शाहजहाँ के एक मुस्लिम अफसर ने एक मुसलमान का दाहिना हाथ इसलिए काट दिया था क्योंकि उसने दो मोर पक्षियों का शिकार किया था। बादशाह की आज्ञा थी कि जिन जीवों का वध करने से हिन्दुओं को ठेस पहुँचती है उनका वध नहीं किया जाये। ऐसे धर्म निरपेक्ष शाहजहाँ ने सन् 1732 में भी ऐसा ही फरमान जारी किया था। शाहजहाँ के बाद औरंगजेब गद्दी पर बैठा यद्यपि वह कट्टर कठोर मुसलमान था अनेको मन्दिरों को तोड़ा, नष्ट किया फिर भी पशु हिंसा
SR No.538057
Book TitleAnekant 2004 Book 57 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size9 MB
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