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4.
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2. आदिपुराण जिनसेनाचार्य, 1 / 21
3
द्र प्रेरणा, बाबू जयकुमार जैन स्मृति ग्रन्थ में श्री ब्रजकिशोर जैन द्वारा लिखित 'फिरोजाबाद के जैन विद्वान्' आलेख
6
सन्दर्भ
द्विशताभ्यधिके समासहस्रे समतीतेऽर्द्धचतुर्थवर्षयुक्ते । जिनभास्करवर्द्धमानसिद्धेश्चरित पद्ममुनेरिदं निबद्धम् ।।
'सताप विजयार्द्धाद्विगमन रावणस्य च ।
11'
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पद्मपुराण, 1/42 का पूर्वार्द्ध
पद्मपुराण, 123 / 181
7 छन्दोमजरी, 3/12
छन्दोऽनुशासन, 3/17
9
द्र. पार्श्वनाथचरित का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ 197-198
10. पद्मपुराण, प्रस्तावना पृ. 39 अनुच्छेद || पक्ति IV 11. वही, अन्तिम अनुच्छेद
अनेकान्त-57/1-2
पद्मपुराण, 123/182
पद्मपुराण, 1/69
अध्यक्ष - संस्कृत विभाग एस. डी. कालेज, मुजफ्फरनगर (उ. प्र.)
जो बोलने के समय स्यादवादी, श्रद्धाकाल में अनेकान्तदर्शी, आचरण की भूमिका में चरित्रनिष्ठ, प्रवृत्तिकाल में ज्ञानी, निवृत्तिकाल में ध्यानी, बाह्य के प्रति कर्मयोगी और अन्तर के प्रति तपस्वी हैं, वह नानारूपधर भगवान् वर्द्धमान हमारे लिए शरण हों ।