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________________ अनेकान्त-56/1-2 साहित्य का इतिहास, भूमिका, पृ. 5) पूर्व संस्था के पदाधिकारियों द्वारा प्राकृत जैन विद्यापीठ में कार्य करने हेतु अनुमति देने के लिए उनके प्रति डा. जैन ने आभार व्यक्त किया है----"पूना की शिक्षण प्रसारक मण्डली द्वारा संचालित रामनारायण रुइया कालेज, बंबई के अधिकारियो का भी मे अत्यन्त आभारी हूँ, जिन्होंने अवकाश प्रदान कर मुझे प्राकृत जैन विद्यापीठ में कार्य करने की अनुमति दी।" (प्राकृत साहित्य का इतिहास, भूमिका पृ. 5) ___ वर्तमान मे संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर डा. लालचन्द जैन ने चर्चा के दौरान बताया कि प्रो. जगदीशचन्द्र जैन ने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए ही वैशाली को छोड़ा था। सम्भवतः डा. जैन की किसी अपेक्षा को बिहार सरकार पूर्ण नही कर सकी थी, जिसकी प्रतिक्रिया में उन्होंने पाकृत विद्यापीठ की प्रोफेसरशिप से त्याग-पत्र दे दिया और उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में सवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि बिहार सरकार के कार्यकलापो से असतुष्ट होकर में त्याग-पत्र देकर जा रहा हूँ। ___ बाद मे डा. जैन प्राकृतशोध सस्थान की जनरल काउन्सिल, प्रकाशन समिति एवं प्राकृत डिक्शनरी प्रोजेक्ट की सलाहकार समिति के अनेक वर्षो तक मानद सदस्य रहे है। संस्थान के क्रियाकलापो में उनका सहानुभूति पूर्ण सहयोग रहा है। लगभग 1987 की बात है। डा. जैन संस्थान की जनरल काउन्सिल की बैठक तथा महावीर जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित विद्वत्गोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में वैशाली आये थे, जिसका उन्हें हवाई जहाज का मार्ग-व्यय देय था, किन्तु जटिल सरकारी प्रक्रिया के कारण उस समय उन्हे मार्ग-व्यय का भुगतान नहीं हो पाया। किन्हीं अन्य कारणों से उनका भुगतान लगभग दो वर्ष तक लम्बित रह गया। इससे दुखी होकर डा. जैन ने भारत सरकार और बिहार सरकार के सम्बद्ध मंत्रालयों, विभागों तथा बिहार के राज्यपाल को भी उक्त सन्दर्भ मे लिख दिया। तब आनन-फानन में संस्थान के तत्कालीन प्रभारी निदेशक प्रो. लालचन्द जैन के प्रयत्न से सन् 88-89 में उन्हे बकाया मार्ग-व्यय का भुगतान किया जा सका। ऐसे स्वाभिमानी और निर्भय थे डा. जगदीशचन्द्र जैन।
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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