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________________ अनेकान्त-56/1-2 मेरे विद्यागुरू प्रोफेसर (डा. गोकुलचन्द्र जैन पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष, प्राकृत एवं जैनागम विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय, वाराणसी) से डा. जैन के अत्यन्त मधुर एवं नजदीकी सम्बन्ध रहे हैं। डा. जैन के सम्बन्ध में मैंने उनसे अनेक संस्मरण सुने हैं। जिनमें विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के 1994, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के 1987 और सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के यू.जी.सी. सेमिनारों की स्मृतियाँ, गाधीजी से सम्बद्ध घटना और डा. फूलचन्द जैन प्रेमी जी की पुस्तक "मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन" का संस्मरण प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। डा. जैन के दर्शन एवं साक्षात्कार का मुझे दो बार अवसर मिला है। पहली बार सन् 1987 में "प्राकृत एवं जैनविद्या की अन्तरशास्त्रीय अध्ययन सगोष्ठी", प्राकृत एवं जैनागम विभाग. सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणी मे उनका व्याख्यान सुनने एवं सेवा करने का अवसर मिला था, उस समय मे उक्त विभाग में विद्यावारिधि (पीएच. डी.) की उपाधि के लिए अनुसन्धान कार्य कर रहा था। दूसरी बार सम्भवतः वे वैशाली से लौटते समय जैन सिद्धात भवन को देखने हेतु आरा पधारे थे, उस समय अपनी जिज्ञासा शान्त करने हेतु मुझे मौका मिल गया और तत्काल ही मैंने गुरूमुख से सुने हुए गांधीजी से सम्बद्ध महत्वपूर्ण सन्दर्भ को जानने की इच्छा उनके सामने व्यक्त कर दी। उन्होने प्रसन्नातापूर्वक पूरी घटना का यथार्थ चित्रण हम लोगों के समक्ष कर दिया। उस समय मेरे साथ आरा के प्रमुख समाज सेवी बाबू सुबोधकुमार जैन रईस, प्रो. राजाराम जैन, श्री जिनेशकुमार जैन आदि भी मौजूद थे। रामनारायण रुइया कालेज, बम्बई से सेवानिवृत्ति के बाद डा. जैन 1970 में पश्चिम जर्मनी के कील विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन विभाग के अनुसन्धान प्रोफेसर नियुक्त हुये, वहां उन्होंने 1974 तक भारतीय विधाओ पर अनुसंधान कार्य किया। . ___ डा. जैन को अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त हुए हैं----"प्राकृत ज्ञान भारती एजूकेशन ट्रस्ट, बैंगलोर'' ने सन् 1990 में पहली बार प्राकृत और जैनविद्याओं के क्षेत्र में शोधरत विद्वानों के लिए "प्राकृत ज्ञानभारती अवार्ड" देने की घोषणा की। इसके लिए 10 वयोवृद्धों का चयन किया गया, जिनमें
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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