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________________ डॉक्टर जगदीशचन्द्र जैन : व्यक्तित्व और कृतित्व -डॉ. ऋषभचन्द्र जैन "फौजदार" __ जैन विद्या के प्रतिष्ठित विद्वानों में डा. जगदीशचन्द्र जैन का नाम अग्रपक्ति में आता है। उनका जन्म बीसवीं शताब्दी के पहले दशके के नवमें वर्ष अर्थात् 1909 में हुआ था। उन्होंने 1932 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी मे एम.ए. दर्शनशास्त्र की उपाधि तथा सन् 1944 में बंबई विश्वविद्यालय से "सोशियल लाइफ इन ऐंशिएंट इन्डिया एज डिपिक्टेड इन जैन केनन्स'' विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। डा. जैन प्रतिभाशाली, स्वाध्यायी, लगनशील और स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे। जीवन के प्रारभ से ही वे कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित थे। अपने मित्रों को वे हमेशा "कामरेड" कहकर सम्बोधित किया करते थे। डा. जैन 1952 से 1969 तक रामनारायण रुइया कालेज, बंबई मे हिन्दी विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर के रूप मे शिक्षण कार्य मे सलग्न रहे। बीच मे अक्टूबर 1958 से नवबम्बर 1959 तक वे प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली में प्राकत और जैनशास्त्र विषय के क्लास वन प्रोफेसर भी रहे। वैशाली में अपनी नियुक्ति के सम्बन्ध में वे स्वयं लिखते हैं ---- "सन् 1956 से ही प्राकृत जैन विद्यापीठ मुजफ्फरपुर (बिहार) में मेरी नियुक्ति की बात चल रही थी। लगभग दो वर्ष बाद बिहार सरकार ने अपनी भूल का संशोधन कर अन्ततः अक्टूबर, 1958 में प्राकृत जैन विद्यापीठ में मेरी नियुक्ति कर उदारता का परिचय दिया।" (प्राकृत साहित्य का इतिहास भूमिका, पृ.4) प्राकृत जैन विद्यापीठ के संस्थापक डाइरेक्टर डॉक्टर हीरालाल जैन के कार्यकाल में डा. जैन यहां नियुक्त हुए थे। डा. हीरालाल जैन के विषय में उन्होंने लिखा है----"प्राकृत जैन विद्यापीठ के डाइरेक्टर डॉक्टर हीरालाल जैन का मुझ पर विशेष स्नेह रहा है। विद्यापीठ में उनका सहयोगी वनकर कार्य करने का सौभाग्य मुझे मिला, उन्होंने मुझे सदा प्रोत्साहित ही किया।" (प्राकृत
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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