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________________ हरिवंशपुराण पर आधारित रचनायें ____ -डॉ. रमेशचन्द्र जैन शक सवत् 705 (वि. स. 840) में आचार्य जिनसेन प्रथम द्वारा लिखा गया हरिवंशपुराण एक उत्तम ग्रन्थ है। इसमें भगवान् नेमिनाथ और नारायण श्रीकृष्ण के जीवनचरित के साथ प्रसगोपात्त अन्य कथानक भी प्राप्त होते है। यह रचना इतनी लोकप्रिय हुई कि इसके आधार पर परवर्ती काल में अनेक पुराण और काव्यग्रन्थ लिखे गए। हरिवंश पुराण के ज्ञानपीठ संस्करण मे डॉ. ए. एन. उपाध्ये तथा डॉ. हीरालाल जैन ने इस प्रकार की अनेक रचनाओ का उल्लेख अपने प्रधान सम्पादकीय मे किया है। हरिवंशपराण के नाम से संस्कृत मे धर्मकीर्ति, श्रुतकीर्ति, सकलकीर्ति, जयसागर, जिनदास व मंगरस कृत व पाण्डवपुराण नाम से श्रीभूषण, शुभचन्द्र, वादिचन्द्र, जयानन्द, विजयगणि, देवविजय, देवप्रभ, देवभद्र व शुभवर्द्धन कृत तथा नेमिनाथचरित्र के नाम से सूराचार्य, उदयप्रभ, कीर्तिराज, गुणविजय, हेमचन्द्र, भोजसागर, तिलकाचार्य, विक्रम, नरसिह. हरिषेण, नेमिदत्त आदि कृत रचनाये ज्ञात है। प्राकृत में रत्नप्रभ, गुणवल्लभ और गुणसागर द्वारा तथा अपभ्रंश मे स्वयम्भू, धवल, यश:कीर्ति, श्रुतकीर्ति, हरिभ्रद व रइधू द्वारा रचित पुराण व काव्य ज्ञात हो चुके हैं। इन स्वतन्त्र रचनाओं के अतिरिक्त जिनसेन, गुणभद्र व हेमचन्द्र तथा पुष्पदन्त कृत सस्कृत व अपभ्रंश महापुराणों में भी यह कथानक वर्णित है एवं उसकी स्वतन्त्र प्राचीन प्रतियाँ भी पायी जाती हैं। हरिवंशपुराण, अरिष्टनेमि या नेमिचरित, पाण्डवपुराण व पाण्डवचरित आदि नामों से न जाने कितनी संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश रचनायें अभी भी अज्ञात रूप से भण्डार में पड़ी होना सम्भव है। प्राचीन हिन्दी व कन्नड में भी हरिवश पुराण के आधार पर रचित ग्रन्थ अनेक हैं। हरिवशपुराण से 'प्रद्युम्नचरित' संज्ञक सभी कृतियाँ प्रभावित हैं। ईसवी सन 978 के आसपास महाकवि महासेन ने प्रद्युम्नचरित की रचना की। इस काव्य को
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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